depo 25 bonus 25 to 5x Daftar SBOBET

ये चुनाव है कोई मज़ाक़ नहीं

आर्टिकल/इंटरव्यूये चुनाव है कोई मज़ाक़ नहीं

Date:

अमित बिश्नोई

हर बात के पीछे कोई न कोई कारण ज़रूर छिपा होता है, ये ज़रूर है कि कभी वो कारण फ़ौरन सामने आ जाता है और कभी उसमें थोड़ा समय लगता है, चुनाव आयुक्त अरुण गोयल के अचानक इस्तीफे के पीछे भी कोई न कारण ज़रूर होगा जो अभी सामने नहीं आया है लेकिन जल्द ही आ जायेगा, इश्क़ और मुश्क छिपाये नहीं छिपता, तमाम तरह से छिपाने के बावजूद दोनों की महक लोगो को लग ही जाती है. अरुण गोयल का इस्तीफ़ा ऐसे समय में आया है जब देश में लोकसभा चुनाव की तैयारियां चल रही हैं और तारीखों की घोषणा अगले हफ्ते कभी भी हो सकती, दूसरे ये इस्तीफ़ा तब और भी चौंकाने वाला बन गया जब पहले से ही निर्वाचन आयोग में एक चुनाव आयुक्त रिटायर हो चूका है तो ऐसे में अरुण गोयल के पद छोड़ने का मतलब देश की ये संवैधानिक संस्था अकेले मुख्य चुनाव आयुक्त के भरोसे रह गयी है। इन हालात में इस्तीफ़ा और उसके पीछे कोई वजह न बताना बहुत से सवालों को जन्म दे गया, मामला चुनाव आयोग से है तो सवाल भी राजनीतिक ही होंगे।

कांग्रेस पार्टी ने फ़ौरन इस्तीफे पर सवाल उठाये। एक तो इलेक्शन कमीशन अपनी कार्यप्रणाली से पहले से है घिरी हुई है, उसपर सरकारी एजेंट का लेबल पहले से ही चिपका हुआ है ऐसे में अरुण गोयल के सरप्राइज़ इस्तीफे पर कांग्रेस का सवाल उठाना जायज़ है. कांग्रेस पार्टी ही क्या, देश के हर उस नागरिक के मन में ये सवाल उठे होंगे जिन्हे कांग्रेस पार्टी के जयराम रमेश ने उठाया है। हर किसी किसी के मन में पहला सवाल तो यही आया होगा कि अचानक बेवजह इस्तीफ़ा क्यों, वो भी चुनाव से ठीक पहले। क्या अरुण गोयल की मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार से आयोग में लिए जाने वाले फैसलों पर असहमति बढ़ रही थी, या फिर सरकार की तरफ से कुछ दबाव बढ़ रहा था कि फैसले उसके अनुकूल हों. दो सदस्यीय आयोग में फैसलों में टकराहट आम बात है, तीसरा अगर होता तो मेजोरिटी से फैसला हो जाता। इन सवालों में दम है. आपको याद होगा कि चार साल पहले प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ चुनाव आचार संहिता के मामले में उन्हें क्लीन चिट दिए जाने के फैसले के खिलाफ चुनाव आयुक्त अशोक लवासा को ऐतराज़ था, हालाँकि वोटिंग से हुए फैसले में मोदी जी को क्लीन चिट मिल गयी थी लेकिन ये बात सामने आने पर निर्वाचन आयोग और सरकार की काफी बदनामी हुई थी और अशोक लवासा को इस्तीफ़ा देना पड़ा था, उन्होंने भी इस्तीफे की कोई वजह नहीं बताई थी.

ये मामला भी कुछ उसी तरह का लग रहा है वरना क्या वजह है कि जिन अरुण गोयल की निर्वाचन आयोग में चुनाव आयुक्त के पद पर नियुक्ति पर हंगामा खड़ा हुआ था, विपक्ष ने बवाल मचाया था और मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया था और सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति और कामकाज पर अपने फैसले में कहा था कि चुनाव आयोग की नियुक्ति के लिए बनाई जाने वाली समिति में प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और प्रधान न्यायधीश शामिल होंगे ताकि सारी प्रक्रिया पारदर्शी हो लेकिन अरुण गोयल की नियुक्ति को सही साबित करने के लिए सरकार ने कानून बनाकर सुप्रीम कोर्ट को इस पूरी प्रक्रिया से अलग कर दिया। जिनकी वजह से इतना सबकुछ हुआ उनका अचानक इस्तीफ़ा सवाल तो खड़े करेगा ही. और सबसे बड़ी बात अरुण गोयल के पास मुख्य चुनाव आयुक्त की कुर्सी सामने रखी हुई थी, चुनाव बाद उन्हें ही इस कुर्सी पर बैठना था क्योंकि CEC राजीव कुमार का कार्यकाल समाप्त होने वाला है, ऐसे में ऐसा क्या हो गया कि चुपचाप इस्तीफ़ा दे दिया।

एक सवाल और जो कांग्रेस पार्टी के जयराम ने उठाया कि क्या अरुण गोयल कोलकाता हाई कोर्ट के जज की तरह अचानक इस्तीफ़ा देकर भाजपा में शामिल होंगे और चुनाव लड़ेंगे क्योंकि पूर्व जज साहब के चुनाव लड़ने की बात कही जा रही है. तो क्या अरुण गोयल भी कुछ ऐसा ही करने जा रहे हैं. बहुत संभव है कि ऐसा कुछ हो. इस तरह की कई मिसालें हैं जब लोग अपने पदों से इस्तीफ़ा देकर भाजपा में शामिल हुए हैं और चुनाव लड़कर संसद पहुंचे हैं और मंत्री भी बने हैं. इन हालत के बीच अब जो सबसे बड़ा सवाल है वो यह कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का सबसे बड़ा चुनाव क्या एक आयुक्त के भरोसे संचालित होगा, क्या ऐसा संभव है कि एक आयुक्त निष्पक्ष और पारदर्शी ढंग से चुनाव करा सके. विरोधी दलों का यही तो सवाल है कि मोदी सरकार चाहती है कि देश से चुनावी प्रक्रिया ही ख़त्म हो जाय और तानाशाही का राज हो जाय.

सरकार ने नया कानून बनाकर जो समिति बनाई है उसकी एक भी बैठक नहीं हुई जबकि चार हफ्ते पहले ही चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय का कार्यकाल समाप्त हो चूका है लेकिन उनकी जगह पर किसी की नियुक्ति अभी तक नहीं की गयी, आखिर क्यों? अरुण गोयल के इस्तीफे के बाद सरकार अब क्या करेगी? क्या दो दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एकसाथ करेगी या फिर राजीव कुमार के हवाले ही पूरा चुनाव करेगी। बहुत से सवाल हैं जिनके जवाब बहुत जल्द आने की ज़रुरत है क्योंकि ये चुनाव है कोई मज़ाक नहीं।

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

ट्रम्प की शपथ से ठीक पहले जो बिडेन ने किया क्षमादान का बड़ा फैसला

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने सोमवार को पूर्व कोविड-19...

CT जर्सी विवाद पर BCCI का बयान, ICC के दिशा निर्देशों का पालन होगा

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि...

इमरान खान को करप्टशन के आरोप में 14 साल की जेल, पत्नी को 7 साल की सजा

पाकिस्तान तहरीक इन्साफ पार्टी के संस्थापक और पूर्व प्रधानमंत्री...

दिल्ली में मतदान के दिन पीएम मोदी संगम में लगाएंगे डुबकी

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में इन दिनों महाकुम्भ चल...