प्रयागराज में पुलिस सुरक्षा के बीच पिछले साल बाहुबली अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हिरासत में हत्या की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग ने किसी भी पूर्व नियोजित साजिश के साथ पुलिस की लापरवाही की संभावना से भी इनकार किया है। आयोग की रिपोर्ट शुक्रवार को मानसून सत्र के आखिरी दिन उत्तर प्रदेश विधानसभा में पेश की गई। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के जस्टिस (रिटायर्ड) अरविंद कुमार त्रिपाठी की निगरानी वाले पांच सदस्यीय कमीशन को 15 अप्रैल, 2023 को अतीक और उसके भाई अशरफ की हत्याकांड की जांच का काम सौंपा गया था।
आयोग ने अपनी जांच रिपोर्ट में ये निष्कर्ष निकाला कि उमेश पाल हत्याकांड के आरोपी अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पत्रकार के रूप में आये तीन अज्ञात हमलावरों द्वारा गोली मारकर की गयी हत्या को राज्य पुलिस द्वारा अंजाम दी गई पूर्व नियोजित साजिश का नतीजा नहीं कहा जा सकता।” पुलिस को क्लीन चिट देते हुए आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा, घटना जिसमें आरोपी अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को अज्ञात हमलावरों ने मार डाला था, पुलिस की लापरवाही का नतीजा नहीं थी और उस घटना को सुरक्षा दस्ते के लिए टालना भी संभव था।”
जांच आयोग ने इस हत्याकांड के लिए मीडिया को कई सुझाव दे डाले, आयोग ने कहा कि किसी भी मीडिया संस्थान को संबंधित अधिकारियों द्वारा रेगुलेट और कण्ट्रोल किया जाना चाहिए। खासकर सार्वजनिक महत्व की किसी आपराधिक घटना के मामले में, ताकि जांच एजेंसी के रास्ते में किसी भी तरह की बाधा से बचा जा सके और इसमें शामिल व्यक्तियों की सुरक्षा भी हो सके। आयोग ने सुझाव दिया कि मीडिया को किसी भी घटना का इस तरह से सीधा प्रसारण करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, जिससे आरोपी/पीड़ितों की गतिविधियों के साथ-साथ उक्त घटना के संबंध में पुलिस की गतिविधियों की योजना/सूचना का पता चल सके।”