नई दिल्ली। कोरोना वायरस ने एक बार फिर से वैज्ञानिकों को चिंता में डाल दिया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना का नया सब वैरिएंट जांच को भी चकमा दे सकता है। वर्तमान में आरटी-पीसीआर और रैपिड एंटीजन किट से कोरोना की जांच हो रही है। नई दिल्ली के आईजीआईबी के शोधार्थियों ने निष्कर्ष निकाला है कि नए सब वैरिएंट के परिवर्तनों से जांच पर गंभीर असर पड़ेगा। लैब में कोरोना जांच किट के साथ आवृत्ति चैक करने पर यह जानकारी मिली है।
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इसी आधार पर अब सरकार की विशेषज्ञ समिति ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से भी इस बारे में सिफारिश की है कि वो राज्यों के साथ जल्दी बैठक कर यह समझाने का प्रयास करें। जिसमें यह बताया जाए कि आरटी-पीसीआर जांच पर अधिक से अधिक जोर दिया जाएगा। राज्यों में रैपिड एंटीजन किट का उपयोग किया जा रहा है। जबकि नए सब वैरिएंट बीए—4, बीए—5 और बीए—2—75 जांच के पैरामीटर को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। इसके जरिए संक्रमण की पहचान आसान है। देश में 60 प्रतिशत सैंपल की जांच इसी तकनीक से करने का नियम भी है। लेकिन अधिकांश राज्य इस नियम का कोई पालन नहीं कर रहे हैं।
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पहले संक्रमण जांच में आई परेशानी के बारे में आईजीआईबी के वैज्ञानिक डॉ. विनोद स्कारिया ने बताया कि शोधार्थियों की रिपोर्ट बताती है कि सब वैरिएंट बीए—2—75 में म्यूटेशन कोरोना वायरस की डायग्नोस्टिक पैरामीटर पर असर डालने में सक्षम है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि कुछ राज्यों में देखा है कि रैपिड एंटीजन के उपयोग के कारण वहां संक्रमण स्त्रोत लापता हो गए हैं।