बुधवार को अमेरिकी सैन्य विमान से लाए गए 104 निर्वासितों को हथकड़ी लगाकर भारत लाया गया था, ऐसा दावा डिपोर्ट किये गए पहले जत्थे के एक शख्स जसपाल सिंह ने किया है, उनके मुताबिक पूरी यात्रा के दौरान पैरों में जंजीरें बंधी रहीं और अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरने के बाद ही उन्हें खोला गया। जसपाल के मुताबिक 24 जनवरी को अमेरिकी सीमा पार करने के बाद उन्हें अमेरिकी सीमा गश्ती दल ने पकड़ लिया था। विभिन्न राज्यों से 104 अवैध अप्रवासियों को लेकर बुधवार को एक अमेरिकी सैन्य विमान उतरा, जो अवैध अप्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई के तहत डोनाल्ड ट्रंप सरकार द्वारा निर्वासित भारतीयों का पहला ऐसा जत्था था।
जानकारी के मुताबिक इनमें से 33-33 हरियाणा और गुजरात से, 30 पंजाब से, तीन-तीन महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से और दो चंडीगढ़ से हैं। उन्होंने बताया कि निर्वासित लोगों में 19 महिलाएं और 13 नाबालिग शामिल हैं, जिनमें एक चार वर्षीय लड़का और पांच और सात साल की दो लड़कियां शामिल हैं। जसपाल ने कहा कि उन्हें वहां 11 दिनों तक हिरासत में रखा गया और फिर वापस घर भेज दिया गया। जसपाल ने कहा कि उन्हें नहीं पता था कि उन्हें भारत भेजा जा रहा है।
उन्होंने दावा किया कि हमें हथकड़ी लगाई गई थी, और पैरों में जंजीरें थीं। अमेरिकी कार्रवाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ व्यापक वार्ता करने के लिए वाशिंगटन यात्रा से कुछ दिन पहले हुई। पंजाब पुलिस और विभिन्न राज्य और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों सहित विभिन्न सरकारी एजेंसियों द्वारा हवाई अड्डे के टर्मिनल भवन के अंदर निर्वासित लोगों से पूछताछ की गई ताकि यह पता लगाया जा सके कि उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड तो नहीं है।