सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाया कि जब तक वह पूजा स्थल अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई नहीं कर लेता और उनका निपटारा नहीं कर लेता, तब तक देश में कोई और मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकता। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूजा स्थल अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर चार सप्ताह में हलफनामा दाखिल करने को कहा।
बता दें कि सुप्रीम की स्पेशल बेंच आज Places of Worship Act, 1991 के प्रावधानों को चैलेन्ज करने वाली तमाम याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. इन याचिकाओं में धर्म स्थलों के स्वरुप को बदलने की कोशिशों पर रोक लगाने की मांग की गयी थी.
CJI संजीव खन्ना की अगुवाई वाली और जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की स्पेशल बेंच ने मामले की सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि यह अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 14 (right to equality) और अनुच्छेद 25 (freedom of religion) के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “अभियोजन के लिए आवेदन स्वीकार किया जाता है। यूनियन ने कोई जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया है, चार सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल किया जाए। प्रतिवादियों को भी ऐसा ही करना चाहिए। जवाबी हलफनामे की प्रति याचिकाकर्ताओं को दी जाएगी। याचिकाकर्ता जवाबी हलफनामे के बाद चार सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करेंगे।
Places of Worship (Special Provisions) Act, 1991 को राम मंदिर आंदोलन के बीच में कांग्रेस सरकार द्वारा लाया गया था। अगस्त 1991 में एसबी चव्हाण द्वारा इसे लोकसभा में पेश किया गया यह विधेयक 10 सितंबर, 1991 को पास हुआ था। इसे दो दिन बाद राज्यसभा की मंजूरी मिल गई।