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जेरोम पॉवेल पर शेयर बाज़ारों की नज़र

आर्टिकल/इंटरव्यूजेरोम पॉवेल पर शेयर बाज़ारों की नज़र

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स्पेशल स्टोरी
अमरीका के अलावा दुनिया भर के शेयर बाज़ारों की नज़र आज यूएस फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल पर रहेगी क्योंकि चार साल से भी अधिक समय के बाद फेड रिज़र्व अपनी मॉनिटरी पालिसी की घोषणा करने वाला है और ब्याज दरों में कटौती का एलान करने वाला है, बस सवाल यही है कि पॉवेल कितनी कटौती का एलान करते हैं, 25 बेसिस पॉइंट का या फिर 50 बेसिस पॉइंट का कट.

दुनिया भर के बाजार अर्थव्यवस्था की सेहत और भविष्य में दरों में कटौती के संकेतों के लिए मुद्रास्फीति और रोजगार पर यूएस फेड के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल की टिप्पणियों को सुनने के लिए भी उत्सुक है। पॉवेल का संबोधन घरेलू और वैश्विक शेयर बाजारों में भावना को प्रभावित करने वाली सबसे बड़ी नीति घटना होगी। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि यह दरों में कटौती की एक श्रृंखला की शुरुआत हो सकती है। पॉवेल ने पिछले महीने जैक्सन होल, व्योमिंग में अपने भाषण में इस बात पर जोर दिया था कि फेड जॉब मार्केट को सपोर्ट करने और अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण “सॉफ्ट लैंडिंग” हासिल करने के लिए दरों में कटौती करने के लिए तैयार है। इस निर्णय के पीछे का तर्क और गूँज वैश्विक बाजार की भावना के लिए मंच तैयार करेगा। विश्लेषकों का कहना है कि बाजार पहले ही 25-बीपीएस कटौती को भुना चूका है, ऐसे में अगर 50-बीपीएस कटौती का एलान होता है तो आर्थिक स्वास्थ्य के बारे में एक नकारात्मक संकेत जा सकता है.

25-बीपीएस कटौती को मानकर बाजार, अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य और दरों में कटौती के भविष्य के प्रक्षेपवक्र पर फेड की टिप्पणियों के प्रति सजग हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक 25-बेस-पॉइंट की दर में कटौती स्वाभाविक लगती है वहीँ 50 आधार अंकों की कटौती बाजार को सतर्क संकेत देगी और बाजार की धारणा पर नकारात्मक प्रभाव डालेगी। वैसे उम्मीद की जा रही है कि जेरोम पॉवेल मुद्रास्फीति और बेरोजगारी के अपने दोहरे मैंडेट के बीच संतुलन बनाए रखेगा, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह कटौती प्रत्याशित मंदी के सामने अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए बेताब न लगे।

हालाँकि कुछ बाजार के जानकर 75 आधार अंकों तक की आक्रामक कटौती का भी अनुमान लगा रहे हैं। यह अटकलें हाल ही में तीन डेमोक्रेटिक सीनेटरों के एक पत्र से और भी बढ़ गई हैं जिसमें पॉवेल से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मंदी से बचाने के लिए इस सप्ताह केंद्रीय बैंक की बेंचमार्क ब्याज दर में 75 आधार अंकों तक की आक्रामक कटौती करने का आग्रह किया गया है। ये पत्र सीनेटर एलिजाबेथ वॉरेन, शेल्डन व्हाइटहाउस और जॉन हिकेनलूपर ने पॉवेल को लिखे थे, इन पत्रों में सीनेटरों ने लिखा था कि अगर फेड रिज़र्व ब्याज दरों में कटौती करने में बहुत सतर्क है तो इससे हमारी अर्थव्यवस्था के मंदी की ओर बढ़ने का जोखिम पैदा हो जाएगा।

एक सर्वे के मुताबिक फेडरल रिजर्व द्वारा 2024 में अमेरिकी केंद्रीय बैंक की तीन शेष नीति बैठकों में से प्रत्येक में ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कटौती की उम्मीद है। 101 में से केवल नौ अर्थशास्त्रियों ने इस सप्ताह आधे प्रतिशत की कटौती की उम्मीद जताई है। पॉवेल की अध्यक्षता में अपनी पिछली FOMC बैठक में, फेड ने प्रमुख ब्याज दर को अपरिवर्तित रखने का फैसला किया, इसे 5.25-5.50 प्रतिशत पर बनाए रखा। यह आगामी निर्णय मार्च 2020 के बाद से फेड की पहली दर कटौती को चिह्नित कर सकता है, जब कोविड-19 प्रकोप के दौरान अर्थव्यवस्था का समर्थन करने के लिए दरों को शून्य के करीब घटा दिया गया था।

कोविड महामारी के बाद आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों और यूक्रेन में चल रहे युद्ध के कारण मुद्रास्फीति में उछाल के जवाब में फेड ने 2022 में ब्याज दरें बढ़ाना शुरू किया। पिछले 14 महीनों से प्रमुख उधार दर 5.25-5.50 प्रतिशत के दो दशक के उच्च स्तर पर बनी हुई है। बड़ा सवाल ये हैं कि भारत का शेयर बाजार अमेरिकी फेड की ब्याज दरों में कटौती पर कैसी प्रतिक्रिया दे सकता है. भारत के शेयर बाजार में पिछले सप्ताह उल्लेखनीय उछाल आया जिसकी वजह से पिछले सप्ताह बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी दोनों ने नए सर्वकालिक उच्च स्तर को छुआ। अगर पिछले दो तीन दिनों की सेंसेक्स-निफ़्टी की चाल को देखा जाय तो निवेशक अलर्ट मोड में नज़र आ रहे हैं हालाँकि रुझान खरीदारी का ही दिख रहा है. ऐसे में में जेरोम पॉवेल अगर 25 आधार अंकों से ज़्यादा की कटौती का एलान करते हैं तो इसका साफ़ सन्देश ये होगा कि अमरीकी अर्थव्यस्था में डावाडोल की स्थिति है और फिर शेयर बाज़ार गिरावट का रुख कर सकता है.

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