मौनी अमावस्या की सुबह महाकुंभ में भगदड़ मचने से करीब 40 महिलाएं घायल हो गईं, इस घटना के बाद अखाड़ों ने पवित्र स्नान बंद कर दिया। इस भगदड़ में करीब 20 श्रद्धालुओं की मौत होने की आशंका जताई जा रही है, हालाँकि अभी तक आधिकारिक रूप से जानी नुक्सान की पुष्टि नहीं हुई है. जानकारी के मुताबिक ‘संगम’ से करीब एक किलोमीटर दूर भीड़ के उमड़ने से बैरिकेड टूट गए, जिससे भगदड़ सी मच गयी और इस भगदड़ में कई महिलाऐं बेहोश होकर गिर पड़ीं। उन्हें महाकुंभ मेला परिसर के भीतर एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके अलावा, कुछ गंभीर रूप से घायल महिलाओं को इलाज के लिए बेली अस्पताल और स्वरूप रानी मेडिकल कॉलेज भेजा गया।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि संतों ने मौनी अमावस्या का अमृत स्नान बंद कर दिया है। जब हमें इस घटना के बारे में बताया गया तो हमारे सभी संत और ऋषि स्नान के लिए तैयार थे। इसलिए हमने मौनी अमावस्या पर अपना स्नान रद्द करने का फैसला किया है। अखाड़ा परिषद के महासचिव और जूना अखाड़ा के संरक्षक महंत हरि गिरि ने भी श्रद्धालुओं से अपील की कि वे जहां भी हों, गंगा नदी में स्नान करें और घर लौट जाएं।
बता दें कि दूसरे अमृत स्नान के लिए कल तक लगभग पांच करोड़ लोग प्रयागराज पहुंच चुके थे, जबकि आज 10 करोड़ लोगों के अमृत स्नान करने का अनुमान जताया गया था। इस घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी श्रद्धालुओं से अपील की कि वह संगम तक जाने से बचें और जो भी नज़दीकी घाट हों वहां पर स्नान करें।
अधिकारियों ने एआई-संचालित निगरानी, ड्रोन निगरानी और पुलिस की मौजूदगी बढ़ाकर भारी भीड़ को नियंत्रित करते हुए कड़े सुरक्षा उपाय लागू किए। मेला क्षेत्र को अगले कुछ दिनों के लिए नो-व्हीकल जोन घोषित कर दिया गया है, वहीं प्रयागराज प्रशासन ने स्थानीय निवासियों से चार पहिया वाहनों का उपयोग न करने और केवल वरिष्ठ नागरिकों को संगम ले जाने के लिए दो पहिया वाहनों का उपयोग करने की अपील की है।