अमित बिश्नोई
ODI World Cup 2023 का आज अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में आग़ाज़ हो गया. मुकाबला था उन दो टीमों के बीच जिन्होंने पिछ्ला फाइनल खेला था. उस मैच का नतीजा जिस तरह से सामने आया था उसे क्रिकेट इतिहास के सबसे विवादस्पद नतीजा माना जाता है. इंग्लैंड की टीम सिर्फ इसलिए चैंपियन बनी क्योंकि उसने चौके ज़्यादा मारे थे. न्यूज़ीलैण्ड की टीम उस वक़्त अपने को ठगा सा महसूस कर रही थी लेकिन आज उसने जिस तरह से इंग्लैंड को धोया है उससे चार साल पहले लगे उनके ज़ख्मों पर मरहम तो ज़रूर लगा होगा। पूरे मैच के दौरान साफ़ तौर पर लग रहा था कि कीवी क्रिकेटर ने इस मैच के लिए काफी तैयारी की थी, ऐसा लग रहा था कि पूरे चार साल से उन्हें इस मैच का इंतज़ार था कि कब विश्व कप में इंग्लैंड से सामना हो और कब वो ये साबित कर सकें कि दरअसल 2019 में जीत के हकदार वही थे, तब उनके साथ एक तरह से चीटिंग की गयी थी. क्रिकेट की दुनिया में इंडिया-पाकिस्तान और इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया को चिरप्रतिद्वंदी कहा जाता है लेकिन 2019 के फाइनल के बाद इंग्लैंड का एक और चिर प्रतिद्वंदी न्यूज़ीलैण्ड के रूप में पैदा हुआ।
इस जीत की कीवी क्रिकेटर्स में कितनी भूख थी इसका अंदाज़ा आप मैच के नतीजे से लगा सकते हैं. चैंपियन इंग्लैंड के दिए गए 283 रनों के लक्ष्य को न्यूज़ीलैण्ड ने मात्र 36.1 ओवरों में सिर्फ एक विकेट खोकर पूरा कर लिया। विश्व कप शुरू होने से पहले शायद ही किसी ने इस तरह के नतीजे की कल्पना की हो. न्यूज़ीलैण्ड ने इंग्लैंड को उसी के अंदाज़ में जवाब दिया और बताया कि बैज़बाल क्रिकेट ऐसे खेली जाती है. बेशक ये जीत किसी नॉक आउट मैच में नहीं आयी है लेकिन जिस तरह की जीत आयी है उसने कीवियों का हौसला आसमान में पहुंचा दिया होगा वहीँ चैंपियन इंग्लैंड के लिए ये एक निराशाजनक हार रही. आप न्यूज़ीलैण्ड की इस जीत को एशिया कप में भारत की पाकिस्तान और श्रीलंका के खिलाफ मिली जीत से कर सकते हैं, ऐसी हार किसी भी टीम का हौसला तोड़ देतीं हैं।
मैच के आरंभ से पहले अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में जब लीजेंड सचिन तेंदुलकर मैदान में विश्व कप की ट्रॉफी लेकर आ रहे थे तो दर्शक सचिन सचिन चिल्ला रहे थे लेकिन फिर यही शोर मैच के दौरान रचिन रचिन में बदल गया. बेशक न्यूज़ीलैण्ड की नयी खोज रचिन रविंद्र के लिए विश्व का ये डेब्यू मैच था लेकिन उन्होंने जिस तरह की बल्लेबाज़ी की उससे अन्य टीमों में खलबली ज़रूर मच गयी होगी। कहते हैं कि नाम का बड़ा महत्त्व होता है, कहीं न कहीं उसका प्रभाव भी पड़ता है, रचिन रविंद्र उसकी शायद सबसे बेहतर मिसाल हैं। राहुल+सचिन =रचिन, जी हाँ रचिन के पिता जी रवि कृष्णमूर्ति जिनका ताल्लुक बंगलुरु से है, उन्हें भी क्रिकेट का बड़ा शौक है. वो राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर के बहुत बड़े फैन हैं और इसलिए उन्होंने अपने बेटे का नाम इन दोनों महान खिलाडियों के नाम को मिलाकर रखा. रचिन ने भी दोनों के नामों की लाज रखी और अपने पहले विश्व कप के मैच में एक ऐतिहासिक प्रदर्शन किया। संयोग देखिये कि रचिन रविंद्र (Rachin Ravindra) का ये ऐतिहासिक प्रदर्शन राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर की मौजूदगी में आया. रचिन के लिए इससे अच्छा और क्या हो सकता है कि अपने आइडियल सचिन की मौजूदगी में उन्होंने शतक (123 नाबाद) जड़कर अपने विश्व कप की यात्रा शुरु की, विश्व कप में न्यूज़ीलैण्ड के लिए ये सबसे तेज़ शतक है जो 82 गेंदों में आया।
अब बात डेवेन कॉन्वे (Devon Conway) की जिन्होंने इंग्लैंड के गेंदबाज़ों की ऐसी धुलाई की जो इंग्लिश गेंदबाज़ों को बरसों याद रहेगी। कॉन्वे ने 121 गेंदों में 152 रनों की नाबाद पारी खेली। विश्व कप जैसे टूर्नामेंट के पहले ही मैच में इस तरह की पारी खेलना मामूली बात नहीं है. कॉन्वे की पारी के दौरान साफ़ झलक रहा था कि चार सालों की तपस्या का फल था. उन्होंने इंग्लैंड के सबसे मुख्य गेंदबाज़ मार्क वुड को असहाय बना दिया। कप्तान जोस बटलर को समझ नहीं आ रहा था कि किस गेंदबाज़ से गेंदबाज़ी कराई जाय, अंत में तो उन्होंने मैच को छोड़ ही दिया था. कॉन्वे और रचिन मनचाहे ढंग से गेंदों बॉउंड्री के बाहर पहुंचा रहे थे. कुल मिलाकर ये बदला लेने वाला एक मैच था जिसको बड़ी टशन के साथ न्यूज़ीलैण्ड ने जीता। अभी तो टूर्नामेंट की शुरुआत हुई है, बहुत मैच होने हैं, देखना होगा कि कीवियों की ये टशन भरी परफॉरमेंस आगे भी जारी रहेगी या फिर ये स्पेशली इंग्लैंड के लिए थी। न्यूज़ीलैण्ड की तरफ से पहले ही मैच में दो शतक आये, ये कीवी टीम के लिए एक शुभ संकेत है क्योंकि पिछले कई विश्व कप में ऐसा होता आया है कि जो टीम चैंपियन बनी है उसकी तरफ से पहले मैच में किसी न किसी बल्लेबाज़ ने शतक जड़ा है और यहाँ पर दो दो शतक जड़े गए है।