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लिवरपूल: 19वां ईपीएल खिताब जीतने में लग गए 30 साल

स्पोर्ट्सलिवरपूल: 19वां ईपीएल खिताब जीतने में लग गए 30 साल

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लिवरपूल: 19वां ईपीएल खिताब जीतने में लग गए 30 साल

नई दिल्ली। कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन के तीन महीने फिर से शुरू हुई इंग्लिश प्रीमियर लीग के कुछ मैच बाद ही विजेता सुनिश्चित हो चुका है. 30 साल के इंतजार के बाद आखिरकार लिवरपूल इंग्लिश प्रीमियर लीग का खिताब जीतने में कामयाब रहा है. इसके साथ ही वह लीग के इतिहास में सबसे ज्यादा खिताब के मामले में दूसरे नंबर पर आ गया है. 132 सालों के इतिहास में मैनचेस्टर यूनाइटेड अब भी 20 खिताबों के साथ पहले स्थान पर है. लिवरपूल लीग के इतिहास में काफी कामयाब क्लब रहा है लेकिन फिर भी अपना 19वां खिताब जीतने में उसे 30 साल लग गए. इससे पहले पिछली बार लिवरपूल ने 1990 में खिताब जीता था.

1975-1990 के बीच हर दूसरे साल जीता खिताब

लिवरपूल की यह जीत उसके सुनहरे इतिहास की वापसी हैं जहां वह इस लीग का सबसे कामयाब क्लब था. लीग की बाकी टीमें लिवरपूल के आगे दूर-दूर तक कहीं नहीं थी. लिवपूल का लीग में किस तरह का वर्चस्व था इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1975 से 1990 के बीच हर लगभग दूसरे साल लिवरपूल ने खिताब अपने नाम किया. इस दौरान कई बार लगातार भी जीता. साल 1982 से 84 के बीच लगातार तीन साल चैंपियन बनकर उसने हैट्रिक भी कायम की.लिवरपूल ने 15 सालों में 10 लीग टाइटल जीते थे.

जब आई प्रदर्शन में गिरावट
उस समय टीम की सबसे बड़ी ताकत थे उनके फॉरवर्ड खिलाड़ी केनी डॉल्गिश और इयॉन रश. केनी डॉल्गिश 13 साल तक क्लब जुड़ रहे और उन्होंने 515 मैचों में 172 गोल किए जिससे लिवरपूव क्लब 6 बार लीग का चैंपियन रहा. वहीं दिग्गज बॉब पैसली क्लब के मैनेजर हुआ करते थे. जैसे-जैसे इनका जाने का समय करीब आया लिवपूल के सुनहरे इतिहास का समय खत्म हो गया.

जर्मन कोच कलोप ने बदली क्लब की किस्मत
लिवरपूल ने इस सीजन में 31 मैचों में से 28 में जीत हासिल की इसमें से दो मैच ड्रॉ रहे और अब तक केवल एक ही मैच में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. लिवरपूल के सात मैच बाक़ी है इस लिहाज से इतनी जल्दी चैंपियनशिप जीत लेने का यह लीग का एक रिकॉर्ड है. टीम की इस कामयाबी का श्रेय जर्मन कोच जर्गेन कलोप को जाता है जिन्होंने चार सालों में टीम की दिशा बदल दी. उनकी अगुवाई में टीम ने इस साल शानदार प्रदर्शन किया है. कलोप ने साल 2015 में लिवरपूल की कमान संभाली थी.

नए खिलाड़ियों और रणनीतियों ने बनाया चैंपियन

कलोप आक्रमक खेल के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने लिवरपूल में भी यही बदलाव किया जिसका असर देखने को मिला. साथ ही नई रणनीति के मुताबिक ही खिलाड़ियों को क्लब से जोड़ा. उनके आने के बाद से टीम 4:4:2:1 के फॉर्मेशन में खेल रही है. उन्होंने मोहम्मद सालेह, सैडियो माने और रॉबर्टो फिरमिनो के तौर पर तीन ज़ोरदार फारवर्ड खिलाड़ियों को टीम में शामिल किया. ये तीनों तीन सीजन के दौरान लिवरपूल के लिए 211 गोल दागकर उनके फैसले को सही साबित कर चुके हैं. कलोप इंग्लिश प्रीमियर लीग जीत वाले पहले जर्मन कोच हैं. लिवपूल की जीत के बाद वह काफी भावुक हो गए थे. जीत के बाद वह खुद की आंखों से आंसू नहीं रोक पाए. उन्होंने कहा, ‘यह एक बड़ा क्षण है, मेरे पास कोई शब्द नहीं है. मैं पूरी तरह से अभिभूत हूं. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं ऐसा महसूस करूंगा! यह जश्न मनाना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि ये पल कभी न भूलने वाले पल हैं.

चार बार जीत के करीब आकर चूका लिवरपूल
1992 से लेकर पिछले साल तक लिवपूल के पास खिताब जीतने के चार अहम मौके थे. हालांकि वह बेहद करीब आकर चूक जाता था. सीजन 2001-02 में वह आर्सेनल से 7 अंक के अंतर से खिताब चूक गया था. इसके बाद 2008-09 के सीजन में भी उनके पास मौका था लेकिन मैनचेस्टर यूनाइटेड से 4 पॉइंट्स कम होने के चलते वह फिर खिताब नहीं जीत सका. पिछले 6 सीजन में दो मौके ऐसे भी आए जब वह महज 1 या दो अंको के कारण से चैंपियन बनने से रह गया. सीजन 2018-19 में मैनचेस्टर सिटी ने महज 1 पॉइंट्स की लीड के साथ लीवरपूल से ट्रॉफी छीन ली थी, 2013-14 में भी सिटी ने ही 2 पॉइंट्स की लीड के साथ लिवरपूल का सपना पूरा नहीं होने दिया था.

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