Angel Tax: CBDT के मुताबिक उन संस्थाओं को एंजेल टैक्स के दायरे से बाहर रखा जाएगा जो सरकार की निवेशक योजनाओं के दायरे में हैं। इस टैक्स के दायरे में सरकार से जुड़े निवेशक जैसे सॉवरेन वेल्थ फंड SWF, केंद्रीय बैंक, अंतरराष्ट्रीय या बहुपक्षीय संगठन हैं जिनकी सरकार के पास 75 फीसदी या उससे अधिक स्वामित्व है।
आयकर विभाग ने कुछ निवेशकों को एंजेल टैक्स के दायरे से बाहर रखने का प्रस्ताव दिया है। आयकर विभाग का यह कदम 2023 के वित्त अधिनियम के तहत आयकर अधिनियम की धारा 56 (2) में संशोधन के बाद उठाया गया है। इसके जरिए उद्योग और देश के भीतर व्यापार संवर्धन विभाग DPIIT की ओर से मान्यता प्राप्त स्टार्टअप को छोड़ गैर-सूचीबद्ध कंपनियों में विदेशी निवेश में एंजेल टैक्स के दायरे में लाया गया था।
स्टार्टअप और वेंचर कैपिटल इंडस्ट्री विदेशी निवेशक की श्रेणी में छूट की वकालत कर रही है। इसके जवाब में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने नियम 11 यूए में बदलाव करते हुए एक बयान जारी किया। इसके साथ सीबीडीटी ने उन इकाइयों की सूची उपलब्ध कराई जिन्हें एंजेल टैक्स से छूट मिल सकेगी।
सरकार के स्वामित्व वाली संस्थाओं को मिलेगी एंजेल टैक्स से छूट
सीबीडीटी के मुताबिक जिन संस्थाओं को एंजेल टैक्स के दायरे से बाहर रखा जाएगा, उनमें सरकार से जुड़े निवेशक जैसे केंद्रीय बैंक, सॉवरेन वेल्थ फंड और अंतरराष्ट्रीय या बहुपक्षीय संगठन या एजेंसियों के अलावा ऐसी संस्थाएं जिनकी सरकार के पास 75 प्रतिशत या उससे अधिक स्वामित्व है, शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त बीमा व्यापार में शामिल बैंक या विनियमित इकाइयों, भारतीय प्रतिभूति व विनिमय बोर्ड के साथ कैटेगरी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई), एंडोमेंट फंड और पेंशन फंड के रूप में पंजीकृत इकाइयों को छूट देने का प्रस्ताव है। 50 से अधिक निवेशकों के पूल किए गए निवेश या ऐसे फंड जो हेज फंड नहीं हैं, उनको भी इस छूट को हासिल करने वाली संस्थाओं की लिस्ट में शामिल किया जाएगा। डीपीआईआईटी की ओर से मान्यता प्राप्त स्टार्टअप में निवेश पर करने पर एंजेल टैक्स नहीं लगेगा।
उद्योग जगत के जानकारों ने सरकार के इस प्रस्तावित बदलाव का स्वागत किया है। आयकर विभाग की ओर से प्रस्तावित बदलाव से निवेशकों को राहत मिली है। भारतीय स्टार्टअप में विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने, देश में नवाचार के अलावा आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
एंजेल टैक्स क्या
एंजेल टैक्स की शुरुआत 2012 में हुई थी। मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए इसकी शुरूआत हुई थी। इसके तहत अगर कोई स्टार्टअप एंजेल इनवेस्टर्स से फंड जुटाता है। यह फंडिंग शेयर की फेयर वैल्यू से अधिक होती है तो इस पर टैक्स लगाया जा सकता है। एंजेल निवेशक स्टार्टअप के लिए वित्तीय मदद उपलब्ध कराते हैं। बजट 2023 के फाइनेंस बिल में एक संशोधन के जरिए सरकार ने विदेशी निवेशकों को मिलने वाली छूट को समाप्त कर दिया था।