देश में गठबंधन की सियासत एक सच्चाई बन चुकी है, बावजूद इसके कि गठबंधन की राजनीती करना और गठबंधन की सरकार चलाना और गठबंधन की राजनीती की गाड़ी को लम्बे समय तक आगे खींचना सबके बस की बात नहीं क्योंकि गठबंधन में सभी दलों को पूरी तरह कभी संतुष्ट नहीं किया जा सकता। बात महाराष्ट्र की है जहाँ पर कभी त्रिकोणीय मुकाबले हुए और कभी दो दलीय गठबंधन आमने सामने टकराये लेकिन अब वहां भी बहुदलीय गठबंधन का दौर चल पड़ा है. महाविकास अघाड़ी और महायुति जैसे गठबंधन बन चुके हैं। महायुति जो अभी सत्ता में हैं वहां पर आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर सिर फुटव्वल शुरू हो चुकी है वहीँ महाविकास अघाड़ी के नेता भी सवाल जवाब करने लगे हैं.
जानकारी के मुताबिक एनसीपी सपा के एक नेता ने शरद पवार के हवाले कहा है कि लोकसभा चुनाव में हम भले ही कम सीटों पर लड़े लेकिन विधानसभा के चुनाव में ऐसा कुछ नहीं होगा और विधानसभा चुनाव में एनसीपी सौ सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इसके बाद शिवसेना यूबीटी की तरफ से संजय राउत का बयान सामने आया जिसमें उन्होंने कहा कि ज़्यादा लोकसभा सीटें जीतने का मतलब ये नहीं कि विधानसभा में उस फॉर्मूले से सीटों का आबंटन होना चाहिए। संजय राउत ने कहा कि शरद पवार महाविकास अघाड़ी का एक मज़बूत स्तम्भ हैं, लोकसभा चुनाव में उनका स्ट्राइक रेट भी अच्छा है लेकिन सीटों को लेकर तो कोई बात अभी शुरू ही नहीं हुई है. लोकसभा चुनाव में अघाड़ी के सभी दलों ने बराबर से मेहनत की है. जब हम सब साथ में बैठेंगे तब सीटों पर बात होगी।
उधर महाराष्ट्र के लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने वाली कांग्रेस पार्टी में नया जोश नज़र आ रहा है और राज्य के नेता विधानसभा चुनाव में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की बात करने लगे हैं. राज्य में 288 सीटें हैं, पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और एनसीपी साथ मिलकर लड़े थे. कांग्रेस 125 और एनसीपी 125 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. अविभाजित शिवसेना तब भाजपा के साथ थी, भाजपा 152 और और शिवसेना 124 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. बाद में चुनाव बाद राजनीती ने पलटा खाया और शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ महाविकास अघाड़ी का गठन कर सरकार बना ली जो दो साल बाद शिवसेना को तोड़कर भाजपा ने एकनाथ शिंदे के साथ मिलकर सरकार बना ली जिसमें बाद में एनसीपी के अजित पवार भी शामिल हो गए.