SEBI New Rules: SEBI की तरफ से एफपीआई को लेकर नए नियम जारी किए गए हैं। SEBI ने कहा है कि अगर कोई एफपीआई किसी कंपनी या ग्रुप में अपना अधिकतक निवेश करता है। ऐसे में उसको इसे लेकर डिस्क्लोजर जारी करना होगा। ये नया फ्रेमवर्क एक नंवबर से लागू होगा। इससे बाजार में अधिक पारदर्शिता आएगी। शेयर बाजार में और अधिक पारदर्शिता लाने के लिए बाजार नियामक SEBI ने एक कंपनी या ग्रुप में ज्यादा हिस्सेदारी रखने वाली एफपीआई के लिए डिस्क्लोजर देने को जरूरी कर दिया है।
डिस्लोजर में एफपीआई में उन सभी संस्थाओं के बारे में बताना होगा। जहां उनकी हिस्सेदारी, वित्त हित और कंट्रोल अधिकार होंगे। SEBI की ओर से इस तरह के डिस्क्लोजर को लेकर टाइमलाइन निर्धारित की गई है।
इस दिन से लागू होगा नया फ्रेमवर्क?
सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) के जारी सर्कुलर में कहा कि नया फ्रेमवर्क एक नंवबर से लागू किया जाएगा।
वे फॉरेन पोर्टफोलियो निवेशक (Foreign Portfolio Investment) जिनके एयूएम में 50 फीसद से अधिक हिस्सेदारी एक ग्रुप या कंपनी में है। उन एफपीआई को होल्डिंग के लिए अलग से डिस्क्लोजर देना होना। इसके साथ उस एफपीआई की भारतीय बाजार में कुल होल्डिंग 25,000 करोड़ रुपये अधिक होनी चाहिए। SEBI की ओर से बताया गया कि FPI द्वारा अतिरिक्त Disclosure देने के बाद calendar के अगले 30 Days तक वे उस Company में shopping नहीं कर पाएंगे।
इन FPI को होगी छूट?
सरकार से जुड़ी इकाइयां जैसे सॉवरन वेल्थ फंड, केंद्रीय बैंक और पब्लिक रिटेल फंड्स जो एफपीआई के रूप में पंजीकृत हैं, उन्हें इस नियम से छूट दी गई है। एक्सपर्ट का मानना है कि अदाणी ग्रुप में कुछ एफपीआई के मालिकों का नहीं पता लगने के कारण बाजार नियामकों की ओर से नियम बनाया गया है। मौजूदा नियम एफपीआई के ठीक कई निवेशों के असली मालिकों की पहचान करने में ढीले हैं। इस नियम के आने से बाजार अधिक पारदर्शी होगा।