अमित बिश्नोई
स्कोर 8-0: ये किसी ऐसे खेल का स्कोर नहीं है जिसमें गोल पड़ते हों या पॉइंट्स बनते हों, ये विश्व कप में पाकिस्तान पर भारत के वर्चस्व का स्कोर है, ये स्कोर है पाकिस्तान के उस घमंड का जिसे भारत ने आठवीं बार चकना चूर किया है, ये स्कोर मियांदाद की उस उछलकूद का जवाब है, ये स्कोर आमिर सोहेल की उस मगरूरियत पर करारा तमांचा है जो उन्होंने वेंकटेश प्रसाद को दिखाई थी, ये स्कोर शाहीन आफरीदी के उस घमंड भरे जवाब का उत्तर है जिसमें पांच विकेट लेकर सेल्फी खिंचाने की बात वो भारतीय क्रिकेट प्रशंसक से करते हैं, मैंने इससे पहले वाले लेख में लिखा था कि भारतीयों को घमंड चकनाचूर करना आता है, पहले भी कर दिखाया था और आज फिर कर दिखाया। हमें जब कोई चैलेन्ज करता है उसका हश्र ऐसा ही होता है , विशेषकर जब पाकिस्तान की तरफ से कोई चैलेंज आता है फिर तो उसे एशिया कप और अहमदाबाद जैसी शर्मनाक और ज़िल्लतभरी नाकामियों का सामना करना पड़ता है।
भारतीय टीम जिस फॉर्म में है उसे देखते हुए नतीजा तो लगभग सभी को मालूम था लेकिन लोगों को एक दिलचस्प मैच की उम्मीद थी, नहीं मालूम था कि एशिया कप की अपमानजनक हार का असर आज भी बाबर सेना पर है, कमोबेश इसे घुटने टेकने वाली हार कहा जायेगा। 155 पर दो विकेट के बाद भारतीय गेंदबाज़ों ने जिस तरह पाकिस्तान की पूरी टीम को 192 रनों पर समेट दिया उसकी जितनी भी तारीफ की जाय कम है, बुमराह के नेतृत्व में भारतीय आक्रमण इस विश्व कप का सबसे प्रभावी और पैना आक्रमण है, ये बुमराह की गेंदबाज़ी का ही कमाल है कि शुरू में बुरी तरह पिटने वाले सिराज पिछले शतकवीर शफीक और बाबर का विकेट निकाल लेते हैं. किसी टीम के आठ विकेट 37 रनों में उड़ा देना कोई हंसी खेल नहीं है, ये बात अलग पाकिस्तान इस तरह के कोलैप्स की आदी है और अक्सर उसके साथ ऐसा होता रहता है लेकिन इससे हमारे गेंदबाज़ों के कौशल को कम नहीं किया जा सकता। ये विश्व कप है कोई साधारण मैच नहीं।
192 रनों पर समेटने के बात तो कुछ बचा ही नहीं था, मैच औपचारिकता मात्र था, जीत की इबारत दीवार पर लिखी जा चुकी थी. उसपर रोहित शर्मा का रौद्र रूप, जिसने मैच को बिलकुल एकतरफा बना दिया। रोहित अपना आठवाँ शतक नहीं लगा सके इसका सभी को अफ़सोस हुआ। मैच 20 ओवर पहले ख़त्म हो गया, इससे अंदाजा लगता है कि कितना एकतरफा था, ये तो बाद में श्रेयस अय्यर अपने पचासे के चक्कर में थोड़ा रिलैक्स हो गए वरना मैच 25 ओवर से आगे जा ही नहीं रहा था. इससे आप पाकिस्तान की गेंदबाज़ी के स्तर का अनुमान आसानी से लगा सकते हैं, सभी गेंदबाज़ों की जमकर धुलाई हुई। सोचिये कि भारतीय बल्लेबाज़ 50 ओवरों में अनुमानित कितने रन बनाते।
मैच तो रोहित शर्मा ने टॉस जीतते ही आधा जीत लिया था, भारतीय बल्लेबाज़ इन दिनों जिस फॉर्म में हैं उसे देखते हुए वो पाकिस्तान के दिए हुए किसी भी बड़े टोटल को आसानी से चेज़ कर सकते थे. बाबर आज़म के पास भारत से लड़ने का सिर्फ एक ही विकल्प था कि टॉस जीतते और लक्ष्य का पीछा करते क्योंकि पाकिस्तानी गेंदबाज़ी इतनी बेदम है विशेषकर भारत के सामने कि वो भारतीय बल्लेबाज़ों को लक्ष्य से पार पाने से नहीं रोक सकते। पहले गेंदबाज़ी करते हुए ज़रूर वो 300 के आसपास टीम इंडिया को रोककर बल्लेबाज़ों के लिए एक मौका निकाल सकते थे, जैसा उन्होंने पिछले दो मैचों में किया। लेकिन यहाँ टॉस ने भी उनके साथ दग़ा किया और लगातार आठवीं हार का एक और दाग़ छोड़ दिया। आगे इस विश्व कप के नाक आउट दौर में अगर उसका सामना भारत से नहीं हुआ जिसकी उम्मीद कम ही है तो उसे चार साल और इंतज़ार करना पड़ेगा अपनी पहली जीत को हासिल करने के लिए. चार साल बाद क्या होगा पता नहीं फिलहाल आज की बात करते हैं. टीम इंडिया प्रचंड फॉर्म में है ऑस्ट्रलिया और पाकिस्तान दो बड़ी टीमों के साथ अफ़ग़ानिस्तान को नेस्तोनाबूद कर चुकी है, अंक तालिका में भी अब टॉप पर विराजमान है और उम्मीद यही कि नॉक आउट दौर में भी टॉप मुकाम के साथ ही पहुंचेगी।