उत्तर प्रदेश के संभल में स्थित मुग़लकालीन शाही जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर भड़की हिंसा के बाद इस मुद्दे पर राजनीती शुरू हो गयी है. हिंसा को लेकर पुलिस और प्रशासन की ओर हिंसा वाले दिन पत्थरबाज़ी करने वालों के पोस्टर लगाने के आदेश के बाद समाजवादी पार्टी मुखिया ने सवाल किया है कि जिनकी वजह से ये हिंसा हुई जिसमें चार लोगों की मौत हुई उनके पोस्टर कब लगेंगे।
अखिलेश ने अपने एक्स हैंडल पर एक तस्वीर जारी कि जिसमें सीनियर वकील विष्णु जैन पूरी सुरक्षा के बीच शाही मस्जिद की तरफ सर्वे टीम के साथ जा रहे हैं. विष्णु जैन वही वकील हैं जो ज्ञानवापी से लेकर मथुरा कृष्ण भूमि के केस लड़ रहे हैं, उन्हीं की याचिका पर स्थानीय अदालत ने शाही मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया था. विष्णु जैन की इस याचिका में कहा गया था कि हरिहर मंदिर को तोड़कर शाही जामा मस्जिद का निर्माण किया गया है.
संभल पुलिस ने दूसरे दिन सर्वे के समय भड़की हिंसा में शामिल उन 9 लोगों की तस्वीरें जारी की हैं जिनकी पहचान हो चुकी है. पुलिस ने लोगों से उन लोगों को पहचानने में मदद मांगी है जिन लोगों ने अपने चेहरे ढके हुए हैं. इस हिंसा में चार से पांच लोगों की मौत हुई है. इसके अलावा सार्वजानिक और निजी संपत्ति को भी काफी नुक्सान हुआ है. सरकार ने इस तरह की हिंसा की घटनाओं में शामिल लोगों के पोस्टर सार्वजानिक स्थानों पर पहले भी लगा चुकी है. इससे पहले CAA के विरोध में शामिल प्रदर्शनकारियों के पोस्टर लगाए जा चुके हैं जिनकी काफी आलोचना हुई थी.