देहरादून- उत्तराखंड में पिता पिता का एक संदेश उस समय आदेश में बदल गया. जब उत्तराखंड पुलिस के मुखिया ने पिता की चिंता का संज्ञान लिया, दरअसल अभिभावक ने नाबालिक बच्चों को बच्चों के वाहन चलाने को लेकर अपने घर में हो रहे झगड़ों का जिक्र किया था. जिसके बाद मजबूर पिता ने सोशल मीडिया पर उत्तराखंड की मित्र पुलिस के नाम एक अपील साझा की. अभिभावक के मित्र पुलिस से की गई अपील आदेश में बदल गई. जिसका संज्ञान उत्तराखंड डीजीपी ने लिया और चेकिंग अभियान को स्कूल के आसपास चलाने के आदेश दिए.
अपील को डीजीपी ने आदेश में बदला
डीजीपी अशोक कुमार ने सोशल मीडिया की अपील पर स्कूलों के बाहर चेकिंग और जागरूकता अभियान चलाने के आदेश दिए हैं. उन्होंने स्कूल प्रबंधन को भी विद्यार्थियों को बिना लाइसेंस के वाहन चलाने के लिए कढ़ाई करने को कहा. उन्होंने कहा कि नाबालिग बच्चे को वाहन सौंपना उनकी और किसी दूसरे की जिंदगी जोखिम में डालने जैसा है.
मित्र पुलिस के नाम पिता का संदेश
नमस्कार उत्तराखंड पुलिस मित्र। मुझे आपसे एक सवाल भी है और शिकायत भी. मेरा बेटा अभी क्लास 11 में पढ़ता है और उसकी उम्र अभी 18 नहीं है. उसके कई साथी स्कूल में स्कूटी या बाइक से जाते हैं जिस वजह से वह भी मुझसे बार-बार मेरी स्कूटी स्कूल ले जाने की जिद करता है. जिसकी वजह से हमारी घर में कहा-सुनी हो जाती है और यह महीने में 2 से 3 बार हो जाती है जिससे घर का माहौल अशांत रहता है.
उसका कहना है यदि उसके दोस्तों के माता-पिता उनको लाने देते हैं तो मैं उसे स्कूटी क्यों नहीं. काफी समझने के बाद भी वह नहीं मानता. उसका कहना/समझना है कि पुलिस कभी स्कूल के बच्चों को नहीं पकड़ती.
मैं एक रिटायर्ड फौजी हूं, शायद मैं भी एक दिन अपने बच्चे को बिना लाइसेंस के स्कूटी दे दूं ताकि घर में शांति बनी रहे. यह बात सही है कि आजतक मैंने भी कभी अखबार या मीडिया स्कूल के बच्चों की चेकिंग नहीं देखी. इसलिए आपसे निवेदन है कि आप स्कूल के बच्चों और स्कूल को भी चेतवानी देने के लिए एक अभियान चलाएं. आप बच्चों को चेक नहीं करते इसलिए उनके हौसले बुलंद हो रहे हैं.