प्रधानमंत्री मोदी के बेहद करीबी बाबा रामदेव को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका मिला है। भ्रामक विज्ञापनों के मामले में सुप्रीम कोर्ट की सख्ती बाबा से बिजनेसमैन बने रामदेव के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के प्रोडक्ट्स और उनके चिकित्सकीय प्रभावों के विज्ञापनों से संबंधित अवमानना कार्यवाही के मामले में मंगलवार को योगगुरु रामदेव और कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण से व्यक्तिगत रूप से उसके समक्ष पेश होने को कहा है.
जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने कंपनी और मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण को पहले जारी किए गए अदालत के नोटिसों का जवाब दाखिल नहीं करने पर कड़ी फटकार लगाईं है. सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर पूछा था कि अदालत को दिए गए वादे का उल्लंघन करने के लिए उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जाए. सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु रामदेव को भी नोटिस जारी कर पूछा था कि उनके खिलाफ कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट की कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जाए.
दरअसल अगस्त 2022 में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद को नोटिस जारी किया था। आईएमए ने याचिका में सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि आधुनिक दवाईयों के खिलाफ पतंजलि भ्रामक प्रचार कर रहा है। नवंबर 2022 में पतंजलि आयुर्वेद को सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न बीमारियों के इलाज में उसकी दवाओं की प्रभावकारिता के बारे में अपने विज्ञापनों में भ्रामक और झूठे का प्रचार और प्रसार करने के प्रति चेतावनी दी थी। शीर्ष कोर्ट ने पतंजलि को वार्निंग देते हुए कहा था कि भ्रामक विज्ञापनों के लिए उस पर 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लग सकता है। शीर्ष अदालत के आदेश के बाद पतंजलि फूड्स के शेयरों में बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है. कंपनी वैल्यूएशन 50 हजार करोड़ रुपए से नीचे आ गया है.