अमित बिश्नोई
आईपीएल 2024 में जिस तरह बल्लेबाज़ी के सारे रिकॉर्ड टूटते जा रहे हैं उससे ये आईपीएल एकतरफ होता जा रहा है. कल खेले गए मैच में SRH ने एकबार फिर 250 + का स्कोर जड़ दिया। SRH ने दिल्ली कैपिटल्स के खिलाफ 266 रनों का स्कोर खड़ा किया और 67 रनों से मैच जीत लिया, मतलब दिल्ली की टीम भी 199 रनों तक पहुँचने में कामयाब हो गयी, एक समय वो भी आसानी से 200 + का स्कोर पार करती हुई लग रही थी. लगातार एक के बाद एक रिकॉर्ड ब्रेकिंग स्कोर बनने से सवाल उठने लगा है कि इस आईपीएल में गेंदबाज़ एक तमाशा बनकर रह गया है. हालत ये हो गयी है कि गेंदबाज़ गेंदों को सिर्फ बॉउंड्री के पार जाता हुआ ही देख रहा है.
कल के मैच को ही ले तो SRH ने पावर प्ले में बिना विकेट खोये 125 रन ठोंक दिए यानि हर ओवर में 20 रनों से भी ज़्यादा। ये आईपीएल का पावर प्ले में सबसे बड़ा स्कोर है. एक समय तो ऐसा लग रहा था कि SRH की टीम आसानी से 300 + का स्कोर जड़ देगी लेकिन कुलदीप ने ऐसा नहीं होने दिया। कल पावर प्ले में SRH ने जितना स्कोर खड़ा किया इतना स्कोर तो एक बोलिंग सपोर्ट पिच पर 20 ओवर में बनता है, हालाँकि ऐसा मौका कभी कभी ही आता है। ट्रेविस हेड और अभिषेक शर्मा जिस तरह से बल्लेबाज़ों या कहिये गेंदों की धुनाई कर रहे थे, गेंदबाज़ों की बेबसी देखी जा सकती थी, ये तो ट्रेस हेड और अभिषेक शर्मा का ओवर कॉन्फिडेंस था जिसकी वजह से वो कुलदीप के जाल में फंसकर विकेट गँवा बैठे वरना कल रात ऐसा स्कोर खड़ा हो सकता था जो शायद टी 20 के इतिहास का सबसे बड़ा स्कोर भी हो सकता था.
इस आईपीएल में ऐसा पांच बार हुआ जब स्कोर 250 + पहुंचा है जिसमें से तीन बार तो SRH ने ऐसा किया है, एक बार केकेआर और एकबार RCB ने. अबतक खेले गए 35 मैचों में 15 पारियों में स्कोर 200 से ज़्यादा बना है. दो बार मैच में स्कोर 500 रनों के पार जा चूका है. SRH और मुंबई इंडियंस के मैच में 523 और SRH-RCB के मैच में 549 रन. कल्पना कीजिये कि इन मैचों में गेंदबाज़ों की क्या हालत हुई होगी। पांच मैच ऐसे हुए हैं जिनमें दोनों टीमों ने 200+ का स्कोर किया है. तो जब हम इस आईपीएल पर नज़र डालते हैं तो पाते हैं कि ये तो एक तरफा मुकाबला हो रहा है. किस तरह की पिचें बनाई जा रही हैं, सीमा रेखा को क्यों छोटा किया जा रहा है, छोटे ग्राउंड में मैच क्यों आयोजित हो रहे हैं। अगर आयोजित भी हो रहे हैं तो कम से कम वहां पर तो गेंदबाज़ों के लिए कुछ होना चाहिए ताकि गेंदबाज़ सिर्फ तमाशा बनकर न रह जाए. इस आईपीएल में गेंदबाज़ की पोजीशन ये हो गयी है कि जिसने दो डॉट गेंदे भी डाल दीं उसे शानदार गेंदबाज़ कहा जाने लगा है।
माना कि टी 20 क्रिकेट सिर्फ मनोरंजन के लिए होता है लेकिन जब मनोरंजन एकतरफा हो जाय तो बोरियत लगने लगती है. किसी एक ओवर में 25-30 रन जब बनते हैं तो बल्लेबाज़ को उसका श्रेय जाता है लेकिन जब लगातार 6 ओवरों में ऐसा हो तो बल्लेबाज़ सिर्फ हँसता है, उससे अगर आप पूछिए तो उसे अपनी उस पारी पर कोई गर्व नहीं होता। पैसा कमाने के चक्कर में क्रिकेट को अगर सिर्फ चौकों और छक्कों का खेल बना दिया जायेगा तो उसका सारा मज़ा गायब हो जायेगा। सच कहा जाय तो कल जिस तरह ट्रेविस हेड बल्लेबाज़ी कर रहे थे मज़ा कम नीरसता ज़्यादा नज़र आ रही थी. मैं सोच रहा था कि इससे तो अच्छा है कि गेंदबाज़ की जगह बोलिंग मशीन रख दी जाय, कम से कम बेचारे गेंदबाज़ की फ़ज़ीहत होने से तो बचेगी। माना कि दिल्ली कैपिटल के गेंदबाज़ों ने अच्छी गेंदबाज़ी नहीं की होगी लेकिन इतनी खराब भी गेंदें नहीं पड़ रही थी. कल के मैच के बाद तमाम पूर्व क्रिकेटर्स ने भी खुले तौर पर कहा कि ये तो अति हो गयी है। अगर आप गेंदबाज़ों के लिए कुछ छोड़ोगे ही नहीं तो इस खेल में कुछ बचेगा नहीं. अधिकता हर चीज़ की बुरी होती है, हंसने की भी एक सीमा होती है, एक सीमा के बाद आपको अच्छे से अच्छे जोक पर भी हंसी नहीं आती. BCCI को इस बारे में गौर करना चाहिए, दुनिया की सबसे बड़ी क्रिकेट लीग के आकर्षण को बचाने के लिए उसे एकतरफा मूवमेंट को ख़त्म नहीं तो कम ज़रूर करना होगा।