लखनऊ। लोकसभा 2019 और विधानसभा चुनाव 2022 में मुस्लिम को एक भी टिकट नहीं देने वाली भाजपा का जोर इस बार निकाय चुनाव में मुसलमानों पर फोकस है। जबकि मुस्लिम वोटों को लेकर सपा और बसपा के बीच रस्साकसी तेज है। मुस्लिम वोटों को लेकर भाजपा ज्यादा निश्चित हैं, जबकि सपा ओर बसपा वोटों को लेकर चिंतित हैं।
दोनों दलों को अपने मुस्लिम वोटों के खिसकने की चिंता सता रही है। जबकि अगर भाजपा के पाले में मुस्लिम जाता है तो ये उसके लिए फायदे का सौदा साबित होगा। यूपी नगर निकाय चुनाव में इस बार भी मुस्लिम वोटरों को अपने पाले में करने के लिए सभी मुख्य दल जोर लगा रहे हैं।
समीकरण बनाने के लिए नीतियों में बदलाव को तैयार दल
समीकरण बनाने के लिए यूपी निकाय चुनाव में राजनैतिक दल अपनी नीतियों में बदलाव करने को तैयार हैं। इसके बावजूद सवाल यहीं है सबका कि मुस्लिम वोट इस बार किस ओर जाएगा। क्या मुस्लिम भाजपा में भरोसा करेगा या फिर सपा और बसपा दोनों में किसी एक को चुनेगा। शहरी निकाय चुनाव को लेकर अब मैदान सजने लगा है। सभी निकायों में दलों ने भी अपनी पूरी ताकत लगा दी है तो वहीं भावी प्रत्याशियों ने भी सियासी बिसात पर चालें चलनी शुरू कर दी है।
टिकट हासिल करने की जद्दोजहद
सबसे पहले जद्दोजहद टिकट हासिल करने की है। जहां दावेदारों ने इसके लिए ताल ठोकनी शुरू कर दी है तो वहीं राजनीतिक दलों ने भी गुणा भाग शुरू कर दिया है। वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माने जा रहे इस चुनाव में इस बार कई चौंकाने वाले कदम पार्टिंयां उठाने जा रही है।
यूपी के दो दर्जन जिले मुस्लिम बाहुल्य
इस बार सभी दलों का फोकस मुस्लिमों पर है। चूंकि प्रदेश में लगभग दो दर्जन जिले ऐसे हैं जो जिनमें मुस्लिमों की खासी संख्या है। ऐसे में ये किसी भी चुनाव का परिणाम बदल सकते हैं। यही कारण है कि सभी दल मुस्लिमों के रुख को भांपने के लिए एडी चोटी का जोर लगा रहे हैं।
सपा का फोकस
समाजवादी पार्टी ने विधानसभा चुनाव में मुस्लिमों पर फोकस किया था। यह चुनाव सपा ने रालोद के साथ मिलकर लड़ा था। मुस्लिमों ने भी सपा को जमकर वोट किया और उसके 34 मुस्लिम विधायक चुनाव जीत गए जबकि 2017 के चुनाव में मुस्लिम विधायकों की संख्या 24 थी। दस मुस्लिम विधायकों की संख्या बढ़ी। बावजूद इसके सपा उप्र में भाजपा को सरकार बनाने से नहीं रोक पाई।
उधर पिछले शहरी निकाय चुनाव में सपा ने करारी शिकस्त महापौर के चुनाव में खाई। उसका एक भी उम्मीदवार महापौर पद पर नहीं जीत पाया। अलीगढ़, मुरादाबाद जैसी सीटों पर सपा ने मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे पर जीत नहीं सके। इस बार फिर से सपा मुस्लिमों पर फोकस करने की बात कर रही है। वह पहली बार रालोद के साथ मिलकर निकाय चुनाव भी लड़ रही है। उसे इसका लाभ मिलने की भी आस है।
बसपा का मुस्लिम दलित समीकरण
बसपा को पिछले चुनाव में मुस्लिम दलित समीकरण का लाभ मिला था। उसने इसी समीकरण से मेरठ और अलीगढ़ में महापौर की सीटें जीत ली थीं। इन सीटों पर मुस्लिमों ने जमकर बसपा को वोट किया था। विधानसभा चुनाव 2022 में जिस तरह से काडर वोटर और मुस्लिम वोटर दोनों बसपा से खिसका, उसने बसपा के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। वह बस एक ही सीट जीत पाई। ऐसे में इस निकाय चुनाव में बसपा फिर से मुस्लिमों को जोड़ने की कोशिश में है। मुस्लिमों में बसपाई संदेश दे रहे हैं कि केवल मुस्लिम और दलित मिलकर ही भाजपा को रोक सकते हैं।
निकाय चुनाव में मुस्लिमो को भाजपा से जोड़ने की कोशिश
अहम बात यह है कि इस बार भाजपा भी मुस्लिमों को नगर निकाय चुनाव में अपेक्षाकृत ज्यादा संख्या में जोड़ने की कोशिश कर रही है। खास तौर से पसमांदा समाज के मुस्लिमों पर फोकस किया जा रहा है। सम्मेलन तक किए गए हैं। वहीं, नगर निगमों में 980 पार्षद पदों की तुलना में 844 पर ही बीजेपी ने चुनाव लड़ा था। कारण कि बाकी मुस्लिम बाहुल्य वार्ड थे। यहां भाजपा के पास उम्मीदवार ही नहीं थे, लेकिन अब हालात बदल गए हैं।
वर्ष 2017 का शहरी निकाय चुनाव में राजनीतिक दलों का प्रदर्शन
2017 के निकाय चुनाव में भाजपा ने 14 महापौर सीट, पालिका अध्यक्ष की 70 और पंचायत अध्यक्ष की 100 सीटें जीती थीं। बसपा ने दो महापौर सीट, 29 पालिका अध्यक्ष और 45 पंचायत अध्यक्ष सीट पर जीत हासिल की थी। जबकि सपा प्रदेश में एक भी महापौर सीट नहीं जीत सकी थी। सपा पालिका अध्यक्ष की 45 और पंचायत अध्यक्ष की 83 सीट जीती थी। कांग्रेस मात्र 9 पालिका अध्यक्ष और 17 पंचायत अध्यक्ष सीट जीत सकी थी। प्रदेश में भाजपा के 597 पार्षद, बसपा के 147 पार्षद, सपा के 202 पार्षद और कांगेस के 110 पार्षद जीते थे।
यूपी के मुस्लिम बाहुल्य जिले
उप्र में 24 जिले ऐसे हैं, जहां मुस्लिमों की संख्या 20 प्रतिशत से अधिक है। इसके अलावा 12 जिलों में मुस्लिम आबादी 35 प्रतिशत से 52 प्रतिशत तक है। सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, संभल, मेरठ, मुजफ्फरनगर, अमरोहा, रामपुर, बरेली, बहराइच, बलरामपुर, श्रावस्ती में मुस्लिम आबादी सबसे ज्यादा है। अलीगढ़, मुरादाबाद, फिरोजाबाद, संभल, शामली सहित कई जिलों में नगर पंचायतों में मुस्लिम वोटर बड़ी संख्या में हैं।