कांग्रेस अध्यक्ष पद लिए चुनाव मैदान में उतरे और कांग्रेस में बदलाव की बातें करने वाले शशि थरूर ने कहा कि जी-23 समूह का कोई वजूद नहीं है, यह सब मीडिया के दिमाग़ की उपज है, थरूर ने यह भी बताया कि दरअसल G-23 की बात कैसे सामने आयी. थरूर ने कहा कि जी-23 की बात कही जा रही है लेकिन अगर कोरोना न चल रहा होता तो G-100 की बात की जा रही होती क्योंकि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी को 2020 में जिन लोगों ने नेतृत्व के मामले पर अपने हस्ताक्षर युक्त वाला पत्र भेजा था उसपर उस समय सिर्फ 23 लोगों के ही हस्ताक्षर उपलब्ध हो सके थे, कोरोना न होता तो उस पत्र पर 100 लोगों के हस्ताक्षर होते.
बता दें कि यह 2020 की बात है तब देश में लॉकडाउन चल रहा था, उस समय पार्टी के वरिष्ठ नेताओं कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गाँधी को एक पत्र लिखा था जिसमें उनसे नेतृत्व के मुद्दे को हल करने का अनुरोध किया गया था, इन लोगों का कहना था कि यह बात साफ़ होना बहुत ज़रूरी है कि पार्टी में महत्वपूर्ण फैसले कौन ले रहा है. दरअसल लोगों का मानना था कि सारे फैसले राहुल गाँधी ले रहे हैं जबकि उनके पास ऐसा कोई पद भी नहीं है. इन वरिष्ठ नेताओं का कहना था कि अगर राहुल गाँधी पार्टी के सभी फैसले कर रहे हैं हैं तो उन्हें पार्टी अध्यक्ष बनकर उन फैसलों की ज़िम्मेदारी भी लेनी चाहिए.
बता दें कि जी-23 के बारे में 30 अगस्त को कांग्रेस के संचार प्रभारी महासचिव जयराम रमेश और उससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ने वाले दुसरे उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी कहा था कि ऐसा कोई समूह वजूद में नहीं है. बता दें कि खगड़े के नामांकन के दौरान ऐसे कई नेता वहां मौजूद थे जिन्हे जी-23 का सदस्य कहा जाता रहा है बल्कि उनमें से कई नेता तो खड़गे के प्रस्तावक भी बने.
इससे पहले कल शशि थरूर ने मल्लिकार्जुन खड़गे पर हमला करते हुए कहा कि उनके जैसे नेता कांग्रेस में बदलाव नहीं ला सकते, इसलिए अगर बदलाव चाहते हैं तो मुझे चुनिए, थरूर ने यह भी कहा कि वो चुनाव के मैदान से नहीं हटेंगे, हालाँकि कई सीनियर नेताओं ने उनसे कहा कि खड़गे जैसे वरिष्ठ नेता के सामने बैठ जाना चाहिए। थरूर ने कहा कि यह सिर्फ कांग्रेस अध्यक्ष के लिए चुनाव नहीं बल्कि देश के भविष्य का भी चुनाव है, उन्होंने खड़गे को खुली बहस की भी चुनौती दी जिसपर खड़गे ने कहा कि वो बहस में नहीं काम करने में विशवास रखते हैं.