राजनीति में अक्सर यह कहा जाता है कि दिखाया कुछ और जाता है जबकि होता कुछ और है, किसी भी बड़ी राजनीतिक उथल पुथल के समय नेताओं के मुंह से इस तरह के जुमले आम तौर पर सुनने को मिलते हैं, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत ने भी आज जयपुर में सीएम आवास पर पत्रकारों के सामने इस तरह की बात कही. उनका इशारा राजस्थान और कांग्रेस पार्टी को लेकर था जिसकी चर्चा के केंद्र में आजकल वही हैं.
बता दें कि राजस्थान में दो दिन बाद होने वाली इन्वेस्टर समिट की तैयारियों के सिलसिले में मुख्यमंत्री आवास पर एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया था जहाँ राजस्थान और कांग्रेस पार्टी के अंदर चल रही मौजूदा राजनीती पर पूछे गए एक सवाल पर गेहलोत ने पत्रकारों को राजनीति के एक उसूल के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि यहाँ जो होता है अक्सर वो दिखाई नहीं देता क्योंकि ऐसा ज़रूरी नहीं कि जो आपको दिखाया जा रहा हो वही सच हो.
इन्वेस्टर्स समिट के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने वाइब्रेंट गुजरात पर कटाक्ष करते हुए कहा कि गुजरात में इन्वेस्टर्स समिट के दौरान लाखों करोड़ के MoU हस्ताक्षरित होते हैं लेकिन उनमें से बहुत कम धरातल पर उतरते हैं लेकिन राजस्थान की कांग्रेस सरकार घोषणाओं से पहले ही योजनाओं को धरातल पर उतरने का प्रयास करती है.
राजस्थान के सियासी घटनाक्रम की बात करें तो बीते रविवार को भी अशोक गहलोत ने विधायकों द्वारा पर्यवेक्षकों की बैठक का बहिष्कार करने के कारणों का पता लगाने की बात कही थी. इसके साथ ही उन्होंने पर्यवेक्षकों पर भी सवाल उठाये थे, विशेषकर अजय माकन पर. गेहलोत ने कहा था कि अगर समय रहते पर्यवेक्षक आला कमान को सारी स्थिति की सही से जानकारी देते तो मामला इतना न बिगड़ता। उन्होंने अजय माकन का नाम न लेते हुए कहा था कि वह दरअसल सचिन पायलट का प्रमोशन कर रहे थे. फिलहाल अभी दोनों खेमों में थोड़ी ख़ामोशी छाई हुई है. शायद कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के समय तक राजस्थान के मुद्दे को होल्ड पर रख दिया गया है.