कर्नाटक में माइनिंग से जुड़े कारोबार के बेताज बादशाह रेड्डी भाइयों ने कभी भाजपा को राज्य में स्टैब्लिश करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. दोनों के बीच लगभग दो दशकों का साथ रहा लेकिन अब दोनों की राहें अलग हो चुकी हैं क्योंकि रेड्डी भाइयों ने भाजपा के लिए सत्ता की राजनीती करने की जगह अब खुद के लिए सत्ता की राह हमवार बनाने का फैसला किया है और खुद की राजनीतिक पार्टी का गठन किया है, रेड्डी भाइयों ने अपनी पार्टी का नाम ‘कल्याण राज्य प्रगति पार्टी’ रखा है.
भाजपा के लिए बहुत बड़ा झटका
रेड्डी भाइयों का अपनी पार्टी बनाने की घोषणा भाजपा के लिए एक बहुत बड़ा झटका समझा जा रहा है. रेड्डी भाइयों के अपने प्लेटफॉर्म पर राज्य की सियासत में उतरने के फैसले से कर्नाटक में अब मुकाबला त्रिकोणीय से बहुकोणीय बन सकता है. बस सवाल यह है कि भाजपा से अलग होकर रेड्डी बंधुओं की राजनीतिक शक्ति कितनी होगी। कर्नाटक में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं, रेड्डी भाइयों के पास पार्टी के विस्तार और उसे पूरे राज्य में फैलाने के लिए समय कम है, हालाँकि पैसे की कोई कमी नहीं है लेकिन देखने वाली बात यह होगी कि भाजपा से अलग होने के बाद सत्ताधारी भाजपा का उसके प्रति क्या रवैया होगा।
फैसले पर राजनीतिक पंडितों को हैरानी
अक्सर देखने में आता है कि भाजपा के लिए जो भी चैलेन्ज बनता है उसे तमाम तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है और रेड्डी भाइयों पर केसों का अम्बार लगा हुआ, दो साल जेल में गुज़ार चुके हैं, पुरानी फाइलें जो अभी तक दबी पड़ी हुई हैं वो कब खुल जांय कहा नहीं जा सकता। चुनाव के ऐन करीब अपनी पार्टी बनाने की बात पर राजनीतिक पंडित विश्लेषण करने में लगे हैं कि ऐसा क्या हुआ जो रेड्डी बंधुओं को भाजपा से अलग राह पकड़ना पड़ी.