अमेरिका दौरे पर कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के आरएसएस, भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अपने हमले जारी हैं। सोमवार को वर्जीनिया के हर्नडन में एक भारतीय प्रवासी कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने दावा किया कि 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद लोगों के बीच प्रधानमंत्री मोदी का लोगों में डर अब खत्म हो गया है।
कार्यक्रम में गांधी ने आरोप लगाया कि भाजपा और पीएम मोदी ने छोटे व्यवसायों पर दबाव बनाने के लिए सरकारी एजेंसियों का इस्तेमाल करके डर का माहौल बनाया है। उन्होंने कहा कि हालांकि, चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद यह डर “कुछ ही सेकंड में गायब हो गया”।
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी की प्रमुख ताकतवर छवि को भी खारिज करते हुए कहा, संसद में, मैं प्रधानमंत्री को सामने देखता हूं और मैं आपको बता सकता हूं कि मिस्टर मोदी का 56 इंच का सीना, भगवान से सीधा संबंध यह सब अब इतिहास बन चुका है। उन्होंने जोर देकर कहा कि मोदी के साथ पहले जुड़ी प्रभुत्व और ताकत की छवि अब पहले जैसी नहीं रही।
जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में छात्रों के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि भाजपा भारत की समृद्ध विविधता को समझने में विफल रही है। राहुल गांधी ने सत्तारूढ़ पार्टी पर देश को परिभाषित करने वाली सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विविधता की अवहेलना करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “भाजपा यह नहीं समझती कि यह देश सभी का है, भारत एक संघ है। संविधान में यह स्पष्ट रूप से लिखा है कि भारत एक संघ राज्य है लेकिन भाजपा कहती है कि यह एक संघ नहीं है”।
राहुल गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर कटाक्ष किया और संगठन पर विभाजनकारी विचारधाराओं को बढ़ावा देने का आरोप लगाया जो भारत की विविधता को कमजोर करती हैं। आरएसएस कुछ राज्यों, भाषाओं, धर्मों और समुदायों को हीन समझता है। राहुल गांधी ने कहा, “आरएसएस कहता है कि कुछ धर्म दूसरे धर्मों से हीन हैं, कुछ राज्य दूसरे राज्यों से हीन , कुछ भाषाएँ दूसरी भाषाओं से हीन हैं और कुछ समुदाय दूसरे समुदायों से हीन हैं.
उन्होंने कहा, “सभी राज्यों का अपना इतिहास, परंपराएँ हैं…आरएसएस की विचारधारा तमिल, मराठी, बंगाली, मणिपुरी है, ये हीन भाषाएँ हैं. इसी के लिए लड़ाई है. ये लोग भारत को नहीं समझते, यह वैचारिक लड़ाई आरएसएस की ओर से भारत की विविध पहचान की समझ की कमी को दर्शाती है।