कोविड-19 महामारी के दौरान इन केंद्रों से लोगों के करीब 800 करोड़ रुपए की कुल बचत हुई है
मेरठ– प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्रों से हो रही दवाओं की सेल में जबरदस्त बढ़ोत्तरी देखने को मिली है. फाइनेंशियल ईयर 2020-21 के पहले दो महीने में 100.40 करोड़ रुपए की बिक्री की है. पिछले साल 2019-20 की समान अवधि में जनऔषधि केंद्रों की बिक्री 44.60 करोड़ रुपए थी. जनऔषधि केंद्रों ने मार्च, अप्रैल और मई में 144 करोड़ रुपए की अफोर्डेबल और क्वालिटी दवाएं बेंची. कोविड-19 महामारी के दौरान इससे लोगों के करीब 800 करोड़ रुपए की कुल बचत हुई है.
‘जनौषधि सुगम’ 4 लाख से अधिक हुए डाउनलोड
बीपीपीआई अपने सोशल मीडिया विभिन्न प्लेटफार्मों पर महामारी के खिलाफ लड़ने के साधनों के बारे में जागरूकता पैदा कर रहा है. मोबाइल एप्लिकेशन ‘जनौषधि सुगम ‘ बहुत लोकप्रिय हो गया और 4 लाख से अधिक डाउनलोड हुए हैं. इन तरीकों से, बीपीपीआई कोविड-19 के प्रकोप के खिलाफ लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभा रहा है.
90 परसेंट दवाएं खत्म
लॉकडाउन में जन औषधि केंद्रों से 90 परसेंट दवाएं लगभग समाप्त हो चुकी हैं. देशभर में मेरठ, कानपुर सहित कई इलाके हैं. जहां मरीजों को सस्ती दवाएं मिल नहीं पा रही है. केंद्र संचालकों ने कहना है कि 20 दिन पहले ही दवाओं का ऑर्डर वह दे चुके हैं. लेकिन अब तक दवा मिल नहीं पाई है.ऐसे में मरीज जन औषधि केंद्रों से निराश लौट रहे हैं. जन औषधि केंद्रों के लिए सात सौ से अधिक दवाओं को बेचने की स्वीकृति है. जिला व महिला अस्पताल के जन औषधि केंद्र पर लगभग पांच सौ दवाएं मौजूद भी रहती है. मौजूदा समय में ब्लड प्रेशर, हार्ट, शुगर, किडनी व गैस आदि की दवाएं नहीं हैं. जबकि यह दवाएं बाहर महंगें दामों पर मिलती है. इसके अलावा बच्चों की दवाएं नाम मात्र की बची है.
लोगों का आरोप खेल हुआ शुरू
मेरठ के जनऔषधि केंद्र पहुंचे रविन्द्र ने बताया कि उन्हें सर दर्द की दवा लेनी थी लेकिन केंद्र वाले ने कहा कि जनऔषधि की नहीं है.कोई और चाहिए हो तो बताएं.इस तरह मोटा मुनाफा कमाने के चक्कर में यह सेंटर्स खेल भी कर रहे हैं.उनका कहना है कि समय-समय पर अफसरों को विजिट होनी चाहिए.