कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया ब्लॉक् ने मंगलवार को राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया है, उनपर सदन में पक्षपातपूर्ण कामकाज का आरोप लगाया गया। कांग्रेस, TMC, AAP, समाजवादी पार्टी, DMK और राष्ट्रीय जनता दल के 50 से ज़्यादा सांसदों के हस्ताक्षरों वाला यह नोटिस राज्यसभा सचिवालय को सौंपा गया।
नियम पुस्तिका के अनुसार धनखड़ को हटाने का प्रस्ताव राज्यसभा के मतदान करने वाले सांसदों के साधारण बहुमत से पारित होना चाहिए, फिर इसे लोकसभा में भी इसी अंतर से पारित होना चाहिए। हालाँकि दोनों ही सदनों में इंडिया ब्लॉक के पास बहुमत नहीं है इसलिए धनखड़ को बर्खास्त किए जाने की संभावना नहीं है लेकिन विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाकर देश को बताना चाहता है कि उपराष्ट्रपति एक भाजपा सदस्य की तरह राजयसभा में काम कर रहे हैं.
विपक्ष का यह नोटिस दोनों सदनों में अराजकता के तुरंत बाद प्रस्तुत किया गया था क्योंकि भारतीय जनता पार्टी के सांसद और विपक्ष के लोग कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और व्यवसायी जॉर्ज सोरोस के बीच कथित संबंधों सहित विभिन्न मुद्दों पर भिड़ गए थे जिसके कारण संसद को दिन भर के लिए स्थगित करना पड़ा। विपक्ष का कहना है कि किस नियम के तहत श्री धनखड़ ने इस मुद्दे पर चर्चा की इजाज़त दी. वहीँ कांग्रेस पार्टी का कहना है कि ये सारा नाटक संसद में अडानी पर बहस से बचने के लिए किया जा रहा है. धनकड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात काफी समय से चल रही है लेकिन विपक्ष को लगता है कि अब पानी सर से ऊपर निकला चूका है. राजयसभा में विपक्ष को बोलने का मौका नहीं दिया जा रहा, अडानी मुद्दे पर किसी भी बात को नथिंग गो टू रिकॉर्ड कहा जा रहा है. विपक्ष के हर नेता के भाषण के दौरान जगदीप धनखड़ द्वारा टोकाटाकी करना एक आम बात है.