कल ऐसा लग रहा था जैसे सारी कायनात भारत को चैंपियन बनाने में लगी हुई थी तभी तो मैदान पर कुछ ऐसी घटनाएं हुई जो हैरान करने वाली थीं, ऐसी ही एक घटना दक्षिण की पारी के दौरान 20वे ओवर की पहली गेंद पर घटी. दक्षिण अफ्रीका को अंतिम ओवर में 16 रनों की दरकार थी, हार्दिक पांड्या के सामने स्ट्राइक पर डेविड मिलर थे, हार्दिक ने एक लो फुलटास फेंकी और किलर मिलर ने बल्ला घुमाया , गेंद आकाश में तैरती सीमा रेखा की तरफ बढ़ी, लगा ओवर की पहली ही गेंद पर छक्का लग गया लेकिन ये क्या, सीमा रेखा पर कुछ ऐसा हुआ जिसपर मिलर को यकीन नहीं हुआ. वहां पर तैनात सूर्यकुमार यादव ने एक छक्के को विकेट में तब्दील कर टीम इंडिया की जीत पर मुहर लगा दी.
इस विश्व कप का शायद ये सबसे शानदार कैच कहा जाएगा जिसमें चपलता और कुशलता के साथ ही मानसिक संतुलन का ज़बरदस्त संयोजन था। इतने दबाव वाली स्थिति में किसी से भी गलती हो सकती थी लेकिन सूर्य कुमार के हैरतअंगेज़ कैच ने एक साथ बहुत से लोगों के सपने को साकार कर दिया। सच पूछा जाय तो ये मैच का मोमेंट था जहाँ से मैच किसी भी तरह जा सकता था. इस गेंद पर अगर छक्का लग गया होता तो अगली पांच गेंद में मिलर के लिए 10 रन बना कोई बड़ी बात नहीं थी, वो कई मौकों पर ऐसा कर चुके हैं.
सच कहा गया है कि कैच ही मैच जिताते हैं. कभी कभी कुछ कैच ऐसे होते हैं जो मैच का नक्शा बदल देते हैं, ये कैच उसी श्रेणी में आता है. बता दें कि 40 बरस पहले कपिल देव ने भी कुछ इसी तरह का कैच पकड़ा था और उस एक कैच ने मैच बदल दिया था. 1983 का विश्व कप का वो फाइनल जब सर विवियन रिचर्ड्स भारतीय गेंदबाज़ों की धुनाई कर रहे थे. वेस्टइंडीज के खेमे में जश्न शुरू हो चूका था मगर तभी मदनलाल की गेंद पर विवियन रिचर्ड्स ने एक हवाई शॉट खेला और कप्तान कपिल देव ने पीछे की तरफ एक लम्बी दौड़ लगाई और हैरतअंगेज़ कैच को पकड़कर वेस्टइंडीज की झोली में जाता हुआ मैच छीन लिया। सूर्यकुमार के इस कैच ने लॉर्ड्स में लिए गए उस कैच की याद दिला दी.