अमित बिश्नोई
टॉप आर्डर की तबाही के बाद मैच को एकतरफा बनाने की कला अगर किसी बल्लेबाज़ को आती है तो वो सिर्फ एक ही है, उसका नाम कोहली है जो हर मायने में बड़ा विराट है. लक्ष्य जब सामने हो तो उसके इरादे भी और बुलंद हो जाते हैं , परीक्षा जब कड़ी हो तो उसकी एकाग्रता और बढ़ जाती है, मुश्किल परिस्थितियों में हालात को कैसे अपनी तरफ मोड़ा जाय ये उसे बखूबी आता है, अनगिनत बार उसने मझधार में फांसी टीम को बाहर निकाला है और कल उसने एकबार फिर उसे दोहराया। कल्पना कीजिये कि किसी भी टीम के 2 रन पर तीन विकेट आउट हो जांय और वो टीम 6 विकेट से मैच जीत जाय वो भी 52 गेंद पहले, ऐसे कारनामे तो केवल विराट ही कर सकते हैं. शायद इसीलिए विराट को रन चेज़ का मास्टर कहा जाता है. विराट की बदौलत ही भारत को आईसीसी विश्व कप में अपना आगाज़ जीत से शुरू करने में सफलता हासिल हुई वरना पांच बार की चैंपियन ऑस्ट्रेलिया ने हमला तो बहुत ज़बरदस्त किया था, इस हमले की ज़द में विराट भी आ गए थे मगर कहते हैं न कि किस्मत भी बहादुरों का साथ देती है और ऐसा ही कल रात भी हुआ. सिर्फ 12 के स्कोर पर विराट का आसान सा कैच मिचेल मार्श ने छोड़ दिया और इसके बाद कहानी पूरी तरह बदल गयी. मिचेल मार्श ने कैच नहीं मैच छोड़ा था क्योंकि विराट जैसे बल्लेबाज़ बार बार ऐसे मौके नहीं देते वो भी तब जब वो लक्ष्य का पीछा कर रहे हों.
विराट को दबाव पसंद है, इस बात को उन्होंने खुद भी कहा है कि जब दबाव होता है तो उनका गोल भी सेट हो जाता है और फिर पूरी एकाग्रता के साथ वो उस लक्ष्य को हासिल करने के लिए बढ़ते हैं. विराट नेचुरली एक आक्रामक खिलाड़ी हैं, खेल से भी और व्यवहार से भी मगर जब ऐसे मौके आते हैं तो वो एकदम कूल नज़र आते हैं. तब वो पारी को बनाते हैं, सिंगल्स और डबल्स से, चौके छक्कों की तिलांजलि देकर। साथ ही वो पार्टनर को साथ लेकर चलते हैं उसी शिद्दत के साथ , जिस शिद्दत के साथ वो खुद आगे चल रहे होते हैं. विराट के कल के मैच में 165 रनों की साझेदारी करने वाले के एल राहुल कहते हैं कि विराट जितनी तेज़ अपने लिए रन भागते हैं उसी तेज़ी के साथ वो पार्टनर के रनों के लिए भी भागते हैं और इसी को टीममैनशिप कहते हैं जो कोहली को दूसरों से विराट बनाती है. विराट अगर 12 रनों पर आउट हो जाते तो फिर कह नहीं सकते कि छोटे लक्ष्य के बावजूद भारत को कामयाबी मिलती? क्योंकि विराट के बाद पारी को बनाने वाला शायद और कोई नहीं था, ये विराट के सानिध्य का नतीजा ही था जिसने मुश्किल हालात में राहुल से भी एक बड़ी पारी निकलवा ली.
थोड़ा मैच की तरफ आते हैं तो इस विश्व कप के पिछले चार मैचों की तरह ये मैच भी बड़े अंतर वाला रहा, भारत ने 200 के लक्ष्य के बावजूद 52 गेंद पहले जीत हासिल कर ली. अबतक दर्शकों को कोई भी रोमांचक मैच देखने को नहीं मिला है और इस मैच का नतीजा भी बिना रोमांच के आया, अलबत्ता ये ज़रूर है कि भारतीय टीम के टॉप आर्डर के धराशायी होने के बाद रोमांचक मैच का मौका ज़रूर बना था. पिछले चार मैचों में जहाँ बल्लेबाज़ों का पूरी तरह दबदबा दिखा वहीँ इस मैच में गेंदबाज़ों का प्रदर्शन प्रभावशाली नज़र आया. पहले भारतीय गेंदबाज़ों ने कमाल दिखाया विशेषकर स्पिनर्स ने वहीँ बाद में ऑस्ट्रेलिया के पेसर्स ने उम्दा गेंदबाज़ी की झलक दिखाई।
प्रदर्शन के लिहाज़ से भारत के लिए ये मैच काफी अच्छा कहा जायेगा क्योंकि पहले ही मैच में उसका मुकाबला एक दावेदार टीम से था और बड़ी टीम के खिलाफ बड़ी कामयाबी से हौसला भी बड़ा होता है. गेंदबाज़ पहली परीक्षा में अच्छे नम्बरों से पास हुए. बल्लेबाज़ों ने भी भवँर में फंसी नाव को निकाला। टॉप आर्डर के निराशाजनक प्रदर्शन ने ज़रूर एक सवाल खड़ा किया। खासकर ईशान किशन और श्रेयस अय्यर जिस ढंग से आउट हुए , ऐसा लगा जैसे वो कुछ ख़ास करने की कोशिश कर रहे थे वो भी बिना सेट हुए. शायद दोनों इस मौके को भुनाने की जल्दबाज़ी में थे, मगर हीरो बनने की कोशिश में ज़ीरो बन गए. कप्तान रोहित अंदर आती हुई गेंदों से लगातार जूझ रहे हैं और अभी तक उन्होंने ऐसी गेंदों का कोई तोड़ नहीं निकाला है, विरोधी गेंदबाज़ उनकी इस कमज़ोरी को अच्छी तरह जान चुके हैं, रोहित को जल्द से जल्द इस प्रॉब्लम से बाहर निकलना होगा।
भारत के लिए सबसे अच्छी बात के एल राहुल का मुश्किल समय में बड़ी पारी खेलना रहा. उनके टैलेंट पर कभी किसी को शक नहीं था मगर उनके साथ ये टैग भी जुड़ा हुआ था कि वो मौके पर नाकाम हो जाते हैं, कल वो मौके पर पूरी तरह कामयाब हुए, हालाँकि ये लीग मैच था फिर भी उनके प्रदर्शन को कम नहीं आँका जा सकता, वैसे उनकी असली परीक्षा तब होगी जब किसी नॉक आउट मुकाबले में ऐसी ही किसी परिस्थिति में उनके बल्ले से ऐसी ही पारी निकलेगी, फिर भी वापसी के बाद से उनके बल्ले से लगातार रन बन रहे हैं ये अच्छी बात है. भारत का अगला मैच अब 11 अक्टूबर को अफ़ग़ानिस्तान के खिलाफ है जो भारत के लिए तुलनात्मक दृष्टि से आसान लक्ष्य होना चाहिए। आखिर में बस यही कहना है “विराट तुम्हारा जवाब नहीं”