नई दिल्ली। भारत में जल संकट गहराता जा रहा है। नदियों का पानी लगातार कम हो रहा है। ग्लोबल वार्मिग के कारण ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। भू वैज्ञानिकों के अनुसार गहराता जल संकट देश के 13 राज्यों में और तेजी से बढ़ेगा।
संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को की रिपोर्ट के अनुसार 2025 तक भारत में जल संकट बहुत बढ़ जाएगा। आशंका जताई गई है कि अत्यधिक भूजल दोहन, अत्यल्प जलसंरक्षण और ग्लेशियर पिघलने के कारण गंगा, ब्रह्मपुत्र व सिंधु जैसी हिमालयी नदियों का प्रवाह कम हो जाएगा।
ये राज्य है ड्राई जोन की श्रेणी में
देश के करीब 13 राज्य भूसंकट के ड्राई जोन में हैं। जिन राज्यों में जल संकट का अलर्ट हैं उनमें उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, बिहार, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, ओडिशा और तमिलनाडु हैं। ड्राफ्ट अर्ली वॉर्निंग सिस्टम DEWS के अनुसार देश का 41.82 फीसदी हिस्सा सूखाग्रस्त हो चुका है। यूनेस्को की रिपोर्ट के अनुसार भारत में पिछले दो दशकों से वर्षा में गिरावट दर्ज की जा रही है, इसलिए खेती-किसानी के लिए भूमिगत जल का इस्तेमाल करना पड़ता है। इससे भू-जल दोहन लगातार बढ़ रहा है। जितना भी बारिश का पानी जमीन में अंदर जाता है उसका करीब 80 फीसदी सिंचाई और पीने के लिए निकाल लिया जाता है। वर्ष 2021-22 में आई कैग रिपोर्ट के अनुसार पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और काफी हद तक उत्तर प्रदेश में 100 फीसदी भूमिगत जल का दोहन हो रहा है।
2030 तक ये शहर होंगे जीरो डे कगार पर
पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित कुल 13 राज्यों में पानी का भारी संकट पैदा होने की आशंका है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश के करीब 25 शहर 2030 तक ‘डे जीरो’ की कगार पर होंगे। डे-जीरो का मतलब पानी की आपूर्ति के लिए पूरी तरह अन्य साधनों पर आश्रित होना है। ऐसे शहरों में कानपुर, गुरुग्राम, फरीदाबाद, दिल्ली, मेरठ, जयपुर, बंगलूरू, कोयंबटूर, कोच्ची, मदुरै, चेन्नई, सोलापुर, हैदराबाद, विजयवाड़ा, मुंबई, जमशेदपुर धनबाद, अमरावती, विशाखापत्तनम, आसनसोल और आगरा जैसे शहर शामिल हैं।