लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 10वें सिख गुरु गोविन्द सिंह जी के प्रकाशोत्सव पर आज यहां गुरुद्वारा यहियागंज में माथा टेका। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सनातन धर्म व राष्ट्र रक्षा हेतु सिख गुरुओं के बलिदानों के प्रति हमें कृतज्ञ रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि धर्म की रक्षा के लिए गुरु गोविन्द सिंह जी ने अपने चारों पुत्रों का बलिदान दिया। उनके इस बलिदान को सदैव याद रखा जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शांतिकाल में शास्त्रों के अध्ययन, भजन, कीर्तन इत्यादि के माध्यम से मानवता की सेवा का मार्ग सिख गुरुओं के मार्गदर्शन में प्रशस्त हुआ। जब भी धर्म और राष्ट्र पर संकट आया, सिख गुरुओं ने बलिदान देने में संकोच नहीं किया। देश और धर्म की रक्षा के लिए सिख धर्मगुरुओं के बलिदान का हमेशा सम्मान किया जाना चाहिए। यह अत्यन्त प्रेरणादायी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 27 दिसम्बर, 2020 को मुख्यमंत्री आवास पर श्री गुरु गोविन्द सिंह जी महाराज के चार साहिबज़ादों एवं माता गुज़री जी की शहादत को समर्पित ‘साहिबज़ादा दिवस’ के अवसर पर आयोजित गुरुबाणी कीर्तन कार्यक्रम में सम्मिलित हुए थे। इस कार्यक्रम को सोशल मीडिया के माध्यम से देश के लोगों ने देखा और प्रशंसा की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सिख धर्मगुरुओं के बलिदान को सम्मान देने के लिए पूर्व में ऐसे कार्यक्रम नहीं किए जाते थे। सिख धर्मगुरुओं के बलिदान को सम्मान देने की शुरुआत हो चुकी है। उन्होंने कहा कि सिख गुरुओं के इतिहास को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा, ताकि युवा पीढ़ी को उनके बलिदान से पूरी तरह परिचित हो सके। उन्होंने कहा कि सिख धर्मगुरुओं के बलिदान से वे स्वयं भी प्रेरणा प्राप्त करते हैं। इसीलिए वर्ष 2017 में इस गुरुद्वारे में दर्शन करने आए थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरुबाणी कीर्तन हम सबको देश और धर्म के प्रति अपने कर्तव्यांे के निर्वहन की प्रेरणा देता है। इतिहास को विस्मृत करके कोई भी समाज आगे नहीं बढ़ सकता है। सिख इतिहास पढ़ने पर पता चलता है कि विदेशी आक्रान्ताओं ने जब भारत के धर्म और संस्कृति को नष्ट करने, भारत के वैभव को पूरी तरह समाप्त करने का एक मात्र लक्ष्य बना लिया था, तब गुरु नानक जी ने भक्ति के माध्यम से अभियान प्रारम्भ किया और कीर्तन उसका आधार बना।