Loni Municipality Scam: पूर्व चेयरमैन सहित तीन पर 300 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप,अधिशासी अधिकारी ने दी तहरीर

गाजियाबाद। जिले के लोनी नगर पालिका परिषद में पूर्व चेयरमैन समेत तीन पर 300 करोड रुपए के घोटाले की फाइल गायब करने का आरोप लगा है। इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए अधिशासी अधिकारी शालिनी गुप्ता की तरफ से नगरपालिका के पूर्व चेयरमैन समेत कुल तीन लोगों के खिलाफ थाने में तहरीर दी गई है। पुलिस का कहना है कि जांच के बाद मामला दर्ज कर अग्रिम वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। लोनी नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन मनोज धामा पर 300 करोड़ रुपए के घोटाले के आरोप लगे हैं। जिसने टेंडर की मूल कीमत से अधिक भुगतान की बात सामने आई तो इस पूरे मामले की जांच एसडीएम संतोष राय को सौंपी गई। जिन्होंने अधिशासी अधिकारी शालिनी गुप्ता से संबंधित फाइलों को प्रस्तुत करने के लिए कहा। जिसके बाद शालिनी गुप्ता ने फाइलों के रखरखाव करने वाले बाबू को फाइल प्रस्तुत करने के आदेश दिए। लेकिन कई बार कहने के बाद भी वह फाइल प्रस्तुत नहीं कर पाया और आखिर में बताया गया कि फिलहाल वह सारी फाइल गायब है।
जिसके बाद अधिशासी अधिकारी शालिनी गुप्ता ने रविवार को इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए पूर्व चेयरमैन मनोज धामा तत्कालीन अधिशासी अधिकारी डीके राय के अलावा बाबू के खिलाफ भी एक तहरीर दी है। जानकारी के मुताबिक जिलाधिकारी के निर्देश पर जिन फाइलों में घोटाले की बात सामने आ रही थी। उन सभी फाइलों को जांच के लिए मांगा गया था। जब वह फाइल कार्यालय में नहीं पाई गई तो उसके बाद से ही नगर पालिका कार्यालय में हड़कंप मचा हुआ है। हालांकि इस पूरे मामले में नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन मनोज धामा का कहना है। कि उनके खिलाफ यह सब राजनीतिक षड्यंत्र रचा गया है और कार्यालय की फाइलों से उनका कोई लेना देना नहीं है। यह सब जिम्मेदारी बाबू की होती है या कार्यालय में ही काम करने वाले कर्मचारियों की जिम्मेदारी होती है और इस तरह की उन्हें कोई भी जानकारी तक नहीं है।
हालांकि इस पूरे मामले में क्षेत्राधिकारी रजनीश कुमार उपाध्याय का कहना है। पुलिस को नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन मनोज धामा तत्कालीन अधिशासी अधिकारी डीके राय और एक अन्य बाबू के खिलाफ तहरीर प्राप्त हुई। जिसमें कार्यालय से सरकारी दस्तावेज गायब होने का जिक्र किया गया। फिलहाल जो तहरीर आई। उस पर अधिशासी अधिकारी शालिनी गुप्ता का नाम व पद अवश्य लिखा था। लेकिन उनके हस्ताक्षर उस तहरीर पर नहीं थे। इसलिए अभी मामला दर्ज नहीं किया गया है। जैसे ही हस्ताक्षर युक्त तहरीर मिलती है तो उसके आधार पर मामला दर्ज कर अग्रिम वैधानिक कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी।