4000 लोगों के खिलाफ तीन मामले दर्ज किए गए हैं
कानपुर – यूपी के कानपुर में संत शोभन सरकार के हजारों अनुयायियों के खिलाफ मुकदमें दर्ज किए गए है. संत के अनुयायियों पर आरोप है कि उन्होंने अंतिम संस्कार में शामिल होने के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग को मेन्टेन नहीं रखा. गुरुवार शाम को यह सभी मुकदमें दर्ज किए गए हैं.गौरतलब है कि बीते बुधवार को संत शोभन सरकार ब्रह्मलीन हो गए थे. उनको अंतिम विदाई और श्रद्धांजलि देने के लिए लोगों का हुजूम गुरुवार को चौबेपुर के सुनौहरा आश्रम में एकत्र हुआ.
वीडियो से तलाश रही पुलिस
चौबेपुर के थाना अध्यक्ष विनय तिवारी ने कहा कि भीड़ को आश्रम की तरफ बढ़ने से रोका गया. इस घटना का वीडियो विभिन्न सोशल मीडिया माध्यमों से वायरल भी हुआ है. लॉकडाउन के नियमों के अनुसार किसी भी अंत्येष्टि कार्यक्रम में 20 से ज्यादा लोगों का इकट्ठा होना मना है, मगर आश्रम में हजारों की भीड़ पहुंच गई. इस मामले में करीब 4000 लोगों के खिलाफ तीन मामले दर्ज किए गए हैं. इस बीच, कानपुर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक अनंत देव तिवारी ने बताया कि पुलिस मामले की जांच कर रही है और घटना के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. उधर, कानपुर देहात के पुलिस अधीक्षक अनुराग वत्स ने बताया कि शिवली थाना पुलिस ने भी बुधवार को कोविड-19 से जुड़े प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने के आरोप में करीब 1000 अज्ञात अनुयायियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.उन्होंने बताया कि घटना का वीडियो और तस्वीरें को देखकर यह पता लगाया जा रहा है कि इसमें कौन-कौन लोग शामिल थे.
बाबा को भगवान का अवतार मानते थे लोग
महंत विरक्ता नन्द (शोभन सरकार) का जन्म कानपुर देहात के शिवली में हुआ था. उनके पिता का नाम पंडित कैलाशनाथ तिवारी था. कहते हैं कि शोभन सरकार को 11 साल की उम्र में वैराग्य प्राप्त हो गया था. शोभन सरकार ने गांव के लोगों के लिए कई तरह के जनहित के काम किए हैं. यही वजह है कि गांव वाले भी उन्हें अब भगवान की तरह मानने लगे हैं. कानपुर ही नहीं देश और विदेश में उनके भक्त हैं.
सादा था उनका जीवन
कहते हैं कि शोभन सरकार को 11 साल की उम्र में वैराग्य प्राप्त हो गया था.हैरानी की बात ये है कि किसी आम साधु की तरह इनके माथे पर तिलक नहीं होता और ना चंदन के त्रिपुंड बने होते थे. कपड़े के नाम पर वह सिर पर साफा बांधते थे. गेरुए रंग की लंगोट पहनते थे. सिर पर चादर बांधते थे और बदन पर अंगवस्त्र होता था. आसपास के एरिया में उन्होंने बहुत विकास कार्य कराए थे.शोभन सरकार भगवान राम और हनुमान जी के बहुत बड़े भक्त माने जाते हैं. यहां बताया जाता है कि उन्होंने राम और हनुमान के कई मंदिरों का निर्माण भी करवाया है. आश्रम से जुड़े लोग बताते हैं कि उन्होंने गुरु स्वामी सत्संगानंद जी से आठ वर्ष तक दीक्षा ली थी. उन्हीं के कहने पर उन्होंने कानपुर के शिवली स्थित शोभन में आश्रम का निर्माण कराया.
अक्टूबर 2013 में सोना होने का किया था दावा
अक्टूबर 2013 में शोभन सरकार ने दावा किया था कि यूपी के उन्नाव स्थित डोंडियाखेड़ा में राजा राव राम बख्श सिंह के किले में एक हजार टन सोने का खजाना दबा हुआ है. बाबा का उन्नाव के आसपास बहुत प्रभाव था. किले के पास शोभन सरकार का आश्रम भी था. इसके बाद ही साधु शोभन सरकार ने सरकार से सोना निकलवाने की बात कही थी.उसके बाद सरकार ने उनके सपने को सच मानते हुए खजाने को खोजने के लिए खुदाई भी शुरू करवा दी. हालांकि कई दिनों तक चली खुदाई के बाद भी खजाना नहीं मिला था.एक साधु के सपने के आधार पर खजाने की खोज पर उस समय केंद्र व प्रदेश सरकार की खूब किरकिरी भी हुई थी. तत्कालीन विहिप के नेता अशोक सिंघल ने कहा था कि सिर्फ एक साधु के सपने के आधार पर खुदाई करना सही नहीं है. वहीं, खजाने की खुदाई के दौरान कई दावेदार भी सामने आ गए थे. राजा के वंशज ने भी उन्नाव में डेरा जमा दिया था. वहीं ग्रामीणों ने भी खजाने पर दावा किया था.
देशवासियों का हक
उसके बाद तत्कालीन केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया था कि खजाने पर सिर्फ देशवासियों का हक होगा. उधर तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार ने कहा था कि खजाने से निकली संपत्ति पर राज्य सरकार का हक होगा. यह खजाना ढौंडिया खेड़ा स्टेट के पच्चीसवें शासक राजा राव राम बक्श सिंह के किले के अवशेषों में दबा बताया गया था.