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Uttarakhand: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पहुँचे परमार्थ, स्वामी चिदानन्द से की हिंदुत्व पर बात

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ऋषिकेश। श्री अखिल भारतीय वेदान्त सम्मेलन में आज राष्ट्रऋषि डा मोहन भागवत, स्वामी चिदानन्द सरस्वती, गीता मनीषी  ज्ञानानन्द,अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष महामण्डलेश्वर  रविन्द्र पुरी  महाराज, महामण्डलेश्वर ज्ञानदेव महाराज, महामण्डलेश्वर स्वामी चिदम्बरानन्द ,महाराज, महामण्डलेश्वर , स्वामी हरिचेतनानन्द  महाराज और अखाड़ा परिषद् परम्परा के पूज्य संतगण की पावन उपस्थिति में आज परमार्थ में हिंदुत्व के मुद्दे पर गहन मंत्रणा हुई। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने श कृष्ण निवास एवं पूर्णानन्द आश्रम सन्यास मार्ग, कनखल हरिद्वार में आयोजित  अखिल भारतीय वेदान्त सम्मेलन के अवसर पर राष्ट्रऋषि डा. मोहन भागवत का भव्य स्वागत किया।

विशिष्ट भेंटवार्ता के दौरान स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि राष्ट्रवादी हिन्दुत्व के पुरोधा माधव राव सदाशिव राव गोलवलकर से लेकर वर्तमान राष्ट्रऋषि और सनातन धर्म प्रेमियों के हृदय सम्राट डा. मोहन भागवत जी तक की जो परम्परा है उस परम्परा ने वर्तमान युग में नई दृष्टि और भारतीय संस्कारों के साथ आगे बढ़ाने का संदेश दिया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि आज समय आ गया है कि देव प्रतिष्ठा तो हो परन्तु अब देश प्रतिष्ठा की बारी है, क्योंकि देश प्रतिष्ठा बहुत जरूरी है। देश हमें देता है सब कुछ हम भी तो कुछ देना सीखें। राष्ट्र प्रमुख है बाकी सब चीजें बाद में है।

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आज समय आ गया है कि स्वामी विवेकानन्द जी ने जो उद्घोष भारतीय संस्कृति के लिये अमेरिका की धरती से किये और भारत आकर उस आह्वान को जन-जन का आह्वान बनाया, अब हर भारतीय का यह कर्तव्य बनता है कि देश प्रथम। मेरा देश मेरी शान, मेरा देश मेरी जान तथा प्रत्येक भारतवासी के हृदय में राष्ट्रप्रेम की गंगा प्रवाहित होती रहें, इस तरह से आज की युवा पीढ़ी को आगे बढ़ाते हुये भारतीय संस्कृति और अपनी जड़ों से जुडें रहने के लिये प्रेरित करना होगा। वर्तमान समय में युवा पीढ़ी को एक मार्गदर्शक की आवश्यकता है।

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स्वामी ने कहा कि मोहन भागवत  ने समाज को समता, समरसता और सद्भाव के सूत्रों से बांधे रखा हैं और वे पूरे भारत को एक नई दिशा प्रदान कर  रहे हैं आज इसी दृष्टि की आवश्यकता है। यही भागवत दृष्टि है और भगवत दृष्टि भी है आइये इस दृष्टि को आगे बढ़ाते हुये महापुरूषों ने जो पथ दिखाया है ‘‘इदम् राष्ट्राय स्वाहा, इदम् राष्ट्राय, इदम् न मम’’ के दिव्य सूत्र के साथ अपने आप को राष्ट्र को समर्पित करें।

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