- वायरल फीवर जैसे लक्षण, जांच में नहीं हो रही पुष्टि
अमित बिश्नोई
मेरठ. शहर में इन दिनों कोरोना वायरस का प्रकोप चरम पर है। इसके साथ ही डेंगू , मलेरिया जैसे बुख़ार भी मरीजों को अलग जकड़ रहे हैं, इससे अलग लेक़िन इन दिनों रहस्यमयी बुखार ने भी लोगों को बदहाल किया हुआ है. वायरल की तरह होने वाले इस बुखार के कारणों की पुष्टि किसी जांच में नहीं हो पा रही है. शहर के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में ऐेसे मरीजों की भरमार शुरू हो गई है।
ये है स्थिति
शहर में बुखार, खासतौर से कोरोना संक्रमण की स्थिति इन दिनों काफी चिंताजनक है. अधिकतर मरीज इसकी चपेट में हैं. कोरोना वायरस इंफेक्शन की ही बात करें तो हर दिन 4 से 5 हजार लोगों के सैंपल की जांच हो रही है। इनमें 70 प्रतिशत सैंपल बुखार, खांसी या वायरल इंफेक्शन जैसे लक्षणों के आधार पर जांच किए जाते हैं जबकि इसमें भी कुछ ही मरीजों में संक्रमण की पुष्टि होती है।प्राइवेट हॉस्पिल्स के साथ सरकारी अस्पतालों की जांच लैब में कोविड के अलावा हर दिन करीब 200-250 सैंपल दूसरी जांचों के भी पहुंच रहे हैं जिसमें डेंगू, चिकिनगुनिया, स्वाइन-फ्लू, टॉयफाइड, निमोनिया, वॉयरल जैसे टेस्ट शामिल है. जबकि इनमें भी कुछ ही मरीजों में इन बीमारियों की पुष्टि होती है।
हैल्थ डिपार्टमेंट करवा चुका है स्टडी
लक्षणों के बाद भी किसी स्पेसिफिक बुखार की पुष्टि न होने को लेकर स्वास्थ्य विभाग भी चिंतित रहता है। हर साल इस तरह के सैकड़ों केसेस अस्पतालों में पहुंचते हैं। विभाग इस पर स्टडी भी करवा चुका है. 2019 में हुई एक स्टडी के अनुसार एक साल में करीब 71 हजार मरीजों में रहस्यमयी बुखार के लक्षण मिले थे. सभी मरीजों में वायरल बुखार रहा जबकि लैब जांच में कोई बीमारी सामने नहीं आई. फीवर ऑफ एनोन ओरिजिन (अज्ञात कारणों से हुए बुखार) की ये रिपोर्ट विभाग ने शासन को भी भेजी थी .
सप्ताह भर तक चल रहा बुखार
कोविड-19, डेंगू जैसे बुखारों से अलग होने वाला ये रहस्यमयी बुखार हफ़्ते भर से लेकर 10 दिन तक मरीज़ को अपनी गिरफ़्त में रखता है। यहां तक कि दवाइयां भी इस पर बहुत असरदार साबित नहीं हो रही है. दवाइयों के साथ बुखार सप्ताह भर की मियाद पूरी होने के बाद ही उतर रहा है। इस दौरान मरीज के हाथ पैरों में दर्द, बदन दर्द, चिड़चिड़ापन, जोड़ों में दर्द, चक्कर आना, थकान, भूख में कमी और उल्टियां, आंखे लाल जैसे लक्षण बने रहते हैं।
हवा, पानी में कई तरह के वायरस होते है. ये ह्यूमन बॉडी में जाकर बीमारी पैदा करते है. ऐसे कई वायरस हैं जिनकी जांच में पुष्टि नहीं होती है या जिन पर स्टडी नहीं हुई है। ये अपनी साइकिल पूरी करने के बाद ख़ुद ठीक हो जाते हैं।
डॉ अमित गर्ग, एचओडी, माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट, मेडिकल कॉलेज