Uttarakhand Weather News: छलनी हुए पहाड़ बने मानसून में नासूर, सैकड़ों स्थानों पर भूस्खलन का खतरा

देहरादून। मॉनसून बारिश के शुरुआती दौर में हुई घटनाओं ने पहले ही इसकी ओर इशारा किया था कि इस बार बारिश में पहाड़ नासूर बन जाएंगे। पहाड़ के छलनी होने से नासूर बने इसके सीने बार बारिश में कहर ढाने के लिए तैयार हैं। ये पहाड़ी इलाके खतरनाक हो गए। मॉनसून के पहले दौर की बारिश के चलते पौड़ी,टिहरी,रुद्रप्रयाग और चमोली ज़िलों में में बद्रीनाथ धाम और केदारनाथ धाम हाईवे पर बने नये-पुराने भूस्खलन ज़ोन यात्रियों और श्रद्धालुओं के लिए मुसीबत बने हुए हैं। ऋषिकेश से रुद्रप्रयाग तक बद्रीनाथ धाम हाईवे पर दुर्घटनाओं के लिहाज़ से 24 ऐसे खतरनाक भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र हैं जो बरसात में नई आफत साबित हो रहे हैं। ऐसे में तैयारियों में जुटे विभाग को मुसीबत में डाल रहे हैं। पीडब्लूडी एनएच एई राजीव शर्मा ने बताया कि ठेकेदारों के कई सालों के भुगतान पेंडिंग हैं। वो मशीनरी उपलब्ध नहीं करवा पा रहे हैं। ऐसे में वैकल्पिक तौर पर ई टेंडर के माध्यम से प्राइवेट मशीनें जुटाकर काम करना पड़ रहा है।
खास बात यह कि इन भूस्खलन ज़ोन में शुरुआती बारिश लैंडस्लाइड के कारण घंटों हाईवे बाधित हो रहे हैंं इसी के साथ दुर्घटनाएं भी हो रही है। इससे निपटने में विभाग को नाकों चने चबाने पड़ रहे हैं। जियोलाजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के वैज्ञानिकों व इंजीनियरों के सभी ज़ोनों के सर्वे के बाद ट्रीटमेंट के कुछ डीपीआर मंत्रालय को भेजी है। भूगर्भ वैज्ञानिक फिलहाल ट्रीटमेंट कार्यों पर सवाल खड़े कर रहे हैं। गढ़वाल केन्द्रीय विवि के भूगर्भ वैज्ञानिक प्रो0 यशपाल का कहना है कि समय से सही से अगर इंजीनियरिंग ट्रीटमेंट नहीं हो पाता तो ऑल वेदर रोड वरदान की जगह अभिशाप साबित होगी। यशपाल ने बताया कि जो ट्रीटमेंट किया जा रहा है। वह सटीक नहीं और ऐसे में अभी यहां और लैंडस्लाइड ज़ोन बनने का खतरा है।