Chandrayaan-3 launched जुलाई 2023 में चंद्रयान-3 को लॉन्च किया जाएगा। यह जानकारी आज सोमवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने दी। उन्होंने इसको अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की एक और बड़ी कामयाबी बताया है। इसरो के वैज्ञानिकों ने ओडिशा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) के जरिए एक नौवहन उपग्रह NVS-01 को लॉन्च करने के बाद कही।
सफलता के बीच असफलता सामान्य बात
इसरो प्रमुख ने कहा कि सफलता के बीच असफलता सामान्य बात है। जरूरी नहीं की हर बार सफल ही हो। लेकिन बड़ी बात है कि इससे सीख लें और आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि जब कोई नए काम होते हैं तो सफलता और असफलता दोनों की उम्मीद होती है। सोमनाथ ने कहा कि जब कोई सुझाव दिए जाते हैं, तो उन पर खरे उतरने की कोशिश करते हैं। लेकिन यह सच है कि हर बार सुझाव सही नहीं होते। असफलता भी मिल सकती है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं की हम प्रयोग करना बंद कर दें।
लैंडर-रोवर के दुर्घटनाग्रस्त के चार बाद एलान
चंद्रयान -3 के लॉन्च का एलान चंद्रयान-2 लैंडर-रोवर के दुर्घटनाग्रस्त होने के चार साल बाद हुआ है। चंद्रयान-3 मिशन के जुलाई में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रमा के उस हिस्से तक लॉन्च होने की उम्मीद है, जो सूर्य की ब्रह्मांडीय किरणों से बचाकर काफी हद तक अंधेरे में रहा है।
इसरो के वरिष्ठ अधिकारियों ने पुष्टि की है कि मिशन तैयार होने के अंतिम चरण में है। अब यूआर राव सैटेलाइट सेंटर में पेलोड को एकीकृत किया जा रहा है, क्योंकि टीम भारत के सबसे भारी रॉकेट, लॉन्च व्हीकल मार्क-III पर के मध्य जुलाई तक लॉन्चिंग के लक्ष्य को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है।
तीन अलग—अलग प्रणालियों में अनूठा संयोजन
चंद्रयान -2 मिशन को साल 2019 में लॉन्च किया गया था। यह मिशन तीन अलग-अलग प्रणालियों ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर का अनूठा संयोजन था। ऑर्बिटर ने त्रुटिपूर्ण रूप से काम किया और खुद को चंद्रमा के चारों ओर एक कक्षा में स्थापित किया। मिशन की लैंडर और रोवर इकाई खो गई, क्योंकि यह चंद्रमा के सुदूर भाग पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी अपने लागत प्रभावी दृष्टिकोण के लिए जानी जाती है। उसने चंद्रयान -3 के साथ सिर्फ एक लैंडर और एक रोवर लॉन्च करने का फैसला किया है।