- ब्रिटेन में लोगों को ‘इम्युनिटी पासपोर्ट’ देने की योजना बनाई जा रही है
- यानि जो लोग संक्रमण से मुक्त हैं उन्हें काम करने व बाहर जाने की इजाजत होगी
न्यूज़ डेस्क – कोरोना वायरस शायद ही कभी खत्म हो पाए. यदि इसकी वैक्सीन बन भी गई तो भी इसके पूरी तरह से खत्म होने के आसार फिलहाल कम ही आ रहे हैं. अब दुनियाभर में चर्चा हो रही है इम्यूनिटी पासपोर्ट की. हाल ही में आई एक स्टडी में कहा गया कि कोविड-19 से एफेक्टेड लोगों में संक्रमण से मुक्त हाेने के बादइम्युनिटी सिर्फ छह महीने ही काम कर सकती है. इस कारण जिन लोगों को रिकवर घोषित किया गया है उनके फिर से बीमार होने की आशंका है.
10 लोगों पर चार अलग-अलग तरह के कोरोना का टेस्ट
वैज्ञानिकों का यह दावा उस वक्त में किया है जब ब्रिटेन में लोगों को ‘इम्युनिटी पासपोर्ट’ देने की योजना बनाई जा रही है. यानि जो लोग संक्रमण से मुक्त हैं उन्हें काम करने व बाहर जाने की इजाजत होगी. रिसर्चर्स ने बताया कि 10 लोगों पर चार अलग-अलग तरह के कोरोना का टेस्ट किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, इन चारों कोरोना से संक्रमित व्यक्ति में सामान्य कोल्ड की समस्या रहती है और इसमें यह बात जो चिंताजनक रूप से सामने आई है कि उनमें इम्युनिटी की अवधि ज्यादा दिन बरकरार नहीं रहती है. उनका कहना है कि 12 महीने के बाद वे लगातार संक्रमित होते रहते हैं और छह महीने के बाद शरीर से एंटीबॉडीज का स्तर घटने लगता है.
चीन पहले ही कर चुका
डब्ल्यूएचओ ने अप्रैल में जब इम्यूनिटी पासपोर्ट के विचार के खिलाफ चेतावनी दी, तो इसे लेकर दुनियाभर में बातचीत गंभीर हो गई. कुछ देश वास्तव में विचार के साथ आगे बढ़ चुके हैं. चीन ने तकनीकी दिग्गज अलीबाबा की मदद से प्रायोगिक आधार पर फरवरी में इस इम्युनिटी पासपोर्ट की शुरुआत कर दी थी. अप्रैल तक इसे चीन के अधिकांश हिस्सों में लागू कर दिया गया था क्योंकि चीन में लॉक डाउन खत्म कर दिया गया था.
अनुकूल स्वास्थ्य कोड
चीन में यात्रा करने के लिए, किसी को एक अनुकूल स्वास्थ्य कोड (एक रंग योजना) लेकर चलने की जरूरत होती है. इसमें लोगों को अपनी व्यक्तिगत जानकारी भरनी होगी जिसमें नाम, फोन नंबर, पासपोर्ट नंबर या राष्ट्रीय पहचान संख्या, स्वास्थ्य से संबंधित जानकारी साझा करना, यात्रा इतिहास, एक कोरोना वायरस सकारात्मक व्यक्ति के साथ ज्ञात संपर्क आदि के बारे में जानकारियां देनी होती हैं.चीन ने वास्तव में संपर्क ट्रेसिंग के इस मॉडल के साथ कई देशों में सरकारों को प्रेरित किया। मगर, चीन इस मामले में आक्रामक है क्योंकि वहां पासपोर्ट या राष्ट्रीय पहचान के विवरण देने की जरूरत भी होती है। प्राधिकरण जानकारी को सत्यापित करता है और चीन में प्रत्येक उपयोगकर्ता को लाल, एम्बर या हरे रंग में एक क्यूआर कोड मिलता है। केवल हरे क्यूआर कोड वाले व्यक्ति को ही यात्रा करने की अनुमति है, बाकियों को क्वारंटाइन में जाना होता है.वहीं, अमेरिका, यूके, जर्मनी, जापान, रूस और कई अन्य देश सार्वजनिक आंदोलन के इस मॉडल पर विचार कर रहे हैं या अपना रहे हैं. दक्षिण अमेरिकी देश चिली वास्तव में उन लोगों को प्रमाण पत्र जारी कर रहा है, जो काेविड-19 बीमारी के बाद ठीक हुए हैं. सर्टिफिकेट तीन महीने के लिए वैलिड है. इन लोगों को स्वतंत्र रूप से यात्रा करने और सार्वजनिक स्थानों पर काम करने की अनुमति है.
आरोग्य सेतू भी इसी तरह काम करता
भारत में लॉन्च किया गया आरोग्य सेतु ऐप भी कुछ हद तक इसी तरह काम करता है. भारत ने भी केवल उन्हीं लोगों के लिए यात्रा की अनुमति दी है, जिनके पास अपने फोन में आरोग्य सेतु ऐप है जो व्यक्ति को सुरक्षित घोषित करते हुए ग्रीन बैंड दिखा रहा है.हालांकि, यह पूरी तरह से स्व-घोषणा पर आधारित है. आरोग्य सेतु ऐप की अनुपस्थिति में, एक स्व-घोषणा पत्र भी भारत में काम करता है.