- कोरोना काल में माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई नाप रहा चीन
- चीन ने दावा किया कि माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 8848 मीटर नहीं बल्कि 8844 मीटर है
चीन ने अपनी भौगोलिक हसरतों को बेलगाम कर दिया है.ऊंचाई मापने की पर्वतारोहण टीम पर्वत की चोटी पर 150 मिनट तक रही, जिसने चीनी लोगों का इस पर्वत की चोटी पर सबसे अधिक समय तक रुकने का रिकॉर्ड तोड़ दिया है.इस टीम के प्रमुख कमांडर ली क्वोफंग ने जानकारी देते हुए कहा कि माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई मापने के दौरान कई नई तकनीक अपनाई गई. कुछ वैज्ञानिक लक्ष्य थे जिन्हें पूरा किया गया. चीनी सर्वेक्षण टीम माउंट एवरेस्ट पर 27 मई को पहुंची. उसके बाद चीन ने दावा किया कि माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 8848 मीटर नहीं बल्कि 8844 मीटर है.
पेइतोउ सैटेलाइट का यूज पहली बार
मेजरमेंट के लिए पहली बार चीन ने अपनी पेइतोउ सैटेलाइट का यूज किया. इसके साथ ही चीन में स्वनिर्मित उपकरणों के माध्यम से चोटी पर बर्फ की गहराई और ग्रैविटी मापी गई. पहली बार मांउट एवरेस्ट की चोटी पर ग्रैविटी मापने का पहला मौका है.गौरतलब है कि बीती 25 मई को मानव जाति के उत्तरी ढलान से माउंट एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ने की 60वीं वर्षगांठ है. सन् 1975 में माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई को सटीक रूप से मापने के बाद सार्वजनिक किए जाने से अब तक 45 साल हो चुके हैं. इस तरह मौजूदा माप गतिविधि का अहम ऐतिहासिक मतलब है.
सैन्य मोर्चा बंदी बढ़ाना है मकसद
इसे मापने की चीन की कवायद नई नहीं है. लेकिन वह हिमालय की सबसे ऊंची चोटी पर सैन्य मोर्चाबंदी बढ़ाने और उसका नाम माउंट चोमोलुंगमा करने की कवायद में जुटा है. माउंट चोमोलुंगमा इस पर्वत का तिब्बती नाम है. चीन ने माउंट एवरेस्ट पर अप्रैल में अपना 5जी नेटवर्क स्थापित किया है. चीन की कंपनी हुआवेई का दावा है कि 6500 मीटर ऊंचाई पर लगे इस 5जी टावर की रेंज माउंट एवरेस्ट की चोटी तक होगी, लेकिन इस तकनीक का फायदा सिर्फ वही पर्वतारोही उठा पाएंगे जो तिब्बत से माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करेंगे.