- कोरोना बम कहे जाने वाले जमाती बने कोरोना फाइटर
- जमातियों का खून आ रहा कोरोना से लड़ाई में काम
- दर्जनो ने किया प्लाज्मा डोनेट, बचाई जाएगी कई की जान
मेरठ। वक़्त कब किसे और किसकी मदद लेने पर मजबूर कर दे यह कोई नही जानता। और इसका सबसे मजबूत उदाहरण तब्लीगी जमात के सिवाय फिलहाल कोई नही है। जी हाँ यहाँ उसी जमात की बात की जा रही है,जिसे हाल ही में कोरोना बम कहा जा रहा था। लेकिन वक्त का पहिया घूमा तो लोगो की जान बचाने के लिए वही कोरोना बम कहे जाने वाले जमातियों का प्लाज़्मा इस्तेमाल किया जा रहा है।देश के कई शहरों में आजमाई जा रही इस तकनीक में शामिल हुए जमातियों के खून ने तस्वीर को आईने की तरह साफ कर दिया,जो यह बताने के लिए काफी है कि जो बताया जा रहा है सच्चाई उसके बिल्कुल उलट है। गौरतलब है कि दिल्ली स्थित मरकज़ निजामुद्दीन से निकलने वाली देश के अलग अलग हिस्सों में तब्लीगी जमात के सदस्यों पर कोरोना वायरस फैलाने के आरोप लगाए गए थे। कई मामलों में तो इन जमातियों पर लगे गम्भीर आरोपो का खंडन खुद पुलिस को करना पड़ा । लेकिन मीडिया से जुड़े कुछ लोग जिन्हें कोरोना से नही मुस्लिमो से डर है
तो मानो यह साबित करने पर तुल गए कि इस माहमारी और बीमारी के जिम्मेदार तब्लीगी जमात के लोग ही है और यह भी एक जेहाद है। लेकिन अब जो कारनामा इन्ही कोरोना बम कहे जाने वाले जमातियों के खून से किया जा रहा है उसकी सुनाई भले ही मुस्लिम फोबिया से ग्रस्त कुछ इलेक्ट्रॉनिक चैनल नही कर रहे है लेकिन कहते है सच्चाई कभी छुपती नही और यह खबर भी अब सामने आ चुकी है जो देश के कोने कोने फैलकर उन लोगो को एक सबक दे रही है जो हर चीज़ में हिन्दू मुस्लिम का विवाद उभारने की फिराक में रहते है। अधिकतर जमाती कोरोना से ठीक हो रहे है इसलिए उनके खून से प्लाज्मा यानी यह सेल लिए जा रहे है जो कोरोना जैसी बीमारी से लड़ते है जिसके बाद उम्मीद जताई गई है कि इसके रिजल्ट अच्छे आएंगे और अनगिनत लोगो की ज़िंदगी बचाई जाएगी।
अब इतनी बड़ी खबर आएगी भी क्यों सामने क्योंकि यह तो देश हित में हो रहा है। प्लाज्मा तकनीक में इस्तेमाल किए जा रहे जमातियों के खून की अगर जानकारी लोगो के सामने आई तो जो माहौल जमात के खिलाफ तैयार किया गया है वो बदल जाएगा। कहीं ऐसा न हो कि जमात के सदस्यों को गोली मारने की बात कहने वाले लोग फूल बरसाने की बात करने लगे। खैर किसी ने जो चाहे कहा या सोचा, लेकिन प्लाज्मा तकनीक के दौरान जमात के सदस्यों ने अपने खून को देकर इस बात को साबित किया कि धर्म की राह पर चलने वाले लोग दुनिया की परवाह नही करते और आपसी भाईचारा और मोहब्बत बाँटने का नाम ही इस्लाम है।