Hindu Kush Water System Breakdown: भारत और आसपास के 16 देशों पर बड़ी मुसीबत आने वाली है। इसकी वजह जलवायु परिवर्तन है। जलवायु परिवर्तन से हिंदूकुश और हिमालय का वाटर सिस्टम बिगड़ रहा है। इन पहाड़ों से निकलने वाली नदियों का स्रोत और बहाव धीरे-धीरे बिगड़ने की कगार पर है।
इससे भारत और अन्य 16 देशों की अर्थव्यवस्था और ऊर्जा प्रणाली पर प्रभाव पड़ेगा। चीन के थिंक टैंक चाइना वाटर की स्टडी में ये चौकाने वाली जानकारी सामने आई है। स्टडी के अनुसार हिंदूकुश और हिमालय से बहने वाली 10 प्रमुख नदियों से करोड़ों लोगों को पानी मिलता है। जिससे खेती-बाड़ी होती है। स्टडी के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं।
भयानक मौसम के जानलेवा खतरे
एक्स्ट्रीम वेदर यानी भयानक मौसम के जानलेवा खतरे सामने आ रहे हैं। भू वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि नदियों में लगातार पानी कम हो रहा है। अगर इस इलाके से जुडे देशों ने कार्बन उत्सर्जन में कमी नहीं की तो पीने के लिए पानी मिलना भी मुश्किल हो जाएगा।
इन 16 देशों को पानी और उससे मिलने वाली ऊर्जा को बचाए रखने के लिए बड़े पैमाने पर बचाव कार्य करने होंगे। इन नदियों में गंगा और ब्रह्मपुत्र भी शामिल हैं। जिन 10 नदियों में पानी कम होने की बात की गई है। उनमें प्रमुख हैं- गंगा, ब्रह्मपुत्र, चीन की यांग्त्जे और यलो रिवर जो मेकॉन्ग और सालवीन।
ये नदियां भारत, नेपाल और दक्षिणपूर्व एशिया के 16 देशों की तीन-चौथाई हाइड्रोपावर परियोजनाओं को मदद करती हैं। इसके अलावा 44 प्रतिशत कोयला आधारित पावर प्रोजेक्ट्स में मदद करती हैं। जापान को बिजली सप्लाई करने के लिए 300 गीगावॉट की जरुरत पड़ती है। लेकिन इन नदियों में पानी कम होने से 16 देशों में 865 गीगावॉट बिजली की सप्लाई ठप हो जाएगी। ये नदियां जिन इलाकों से होकर निकलती हैं उनमें जलस्तर काफी कम हो रहा है।
चीन कर चुका भयानक सूखे का सामना
भारत के पड़ोसी देश चीन के यांग्त्जे नदी का बेसिन पूरे चीन की आबादी के एक तिहाई हिस्से को पानी की आपूर्ति करता है। इसी के साथ चीन की ऊर्जा सप्लाई का 15 प्रतिशत हिस्सा इसी नदी से अपनी ऊर्जा की आपूर्ति करता है। पिछले साल इस नदी को भयानक सूखे का सामना करना पड़ा था।
जिसके कारण चीन में बिजली सप्लाई ठप हुई थी। अगर ऐसे पानी और कोयले का दुरुपयोग होता रहा तो भारत और चीन के सामने आने वाले समय में बड़ी समस्याएं खड़ी होंगी। अब जलवायु और ग्लोबल वार्मिग की परेशानी अधिक बढ़ रही है। दुनिया भर के देश इस समय ग्लोबल वार्मिग के भयानक दबाव में हैं। जो अपनी नीतियां बदल रहे हैं। जिससे देशों में जलस्रोतों और ऊर्जा की सप्लाई को बचाया जा सकें। लेकिन इन देशों को जरूरी चीजों के साथ ही लोगों को जागरूक करना होगा। इसी के साथ सख्त नियम बनाने होंगे।