नई दिल्ली: महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच के बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इंकार कर दिया है।
इसमें ग़लत क्या?
सुप्रीम कोर्ट ने CBI जांच के बांबे हाईकोर्ट के आदेश पर गुरुवार को कहा कि इसमें गलत क्या है, क्या ऐसे मामलों की जांच स्वतंत्र जांच एजेंसी से नहीं कराई जानी चाहिए. जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस हेमंत गुप्ता की बेंच ने कहा कि हम इस मामले में दखल देने के इच्छुक नहीं हैं. अदालत ने कहा कि ये जनता के भरोसे का मामला है.आरोपों की स्वतंत्र एजेंसी से जांच जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आरोपों के घेरे में बड़ी शख्सियतें शामिल हैं और आरोपों की प्रकृति गंभीर है. लिहाजा स्वतंत्र जांच जरूरी है और दोनों याचिकाएं खारिज की जाती है.
बचाव पक्ष ने पूछा, सबूत कहाँ?
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान देशमुख की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी जोरदार तरीके से पक्ष रखा. सिब्बल ने दलील रखी कि मौखिक आरोपों के आधार पर जांच का आदेश दे दिया गया. इस मामले में सबूत कहां हैं.
सीबीआई का राजनीतिकरण
सिब्बल ने कहा, मैं सरकार की नहीं, अपनी बात कहता हूं कि परमबीर सिंह ने अपने आरोप में सिर्फ बोला है, कोई भी सबूत पेश नहीं किया है. एक भी सबूत नहीं है कब बात हुई, क्या बात हुई? पहले तो सबूत की बात होनी चाहिए. देशमुख की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार सीबीआई का राजनीतिक इस्तेमाल कर रही है.