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राष्ट्रीय पाप!

paper leak

अमित बिश्नोई
उत्तर प्रदेश में यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा का परचा क्या लीक हो गया, एक हंगामा मच गया. ऐसा लगा कि ये राष्ट्रीय पाप पहली बार हुआ है। जी हाँ उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ जी पेपर लीक को राष्ट्रीय पाप ही समझते हैं, हालाँकि उन्हें इस बात का पता तब चला जब पेपर लीक के मामले को कांग्रेस पार्टी, राहुल गाँधी और अखिलेश ने राजनीतिक रंग देकर चुनावी मुद्दा बना दिया वरना पहले तो पेपर लीक हुआ ही नहीं था, सब झूठ था, कोरी अफवाह और विपक्ष की बकवास थी. मगर योगी जी को जल्द ही समझ में आ गया कि इससे काम नहीं चलेगा। युवा नाराज़ है और चुनावी बेला में छोटी से छोटी नाराज़गी बड़ी भारी साबित होती है।

प्रदेश के मुखिया को समझ में आ गया कि राहुल बाबा तैयार बैठे हैं। देश भर में घूम घूम कर मोदी जी को घेर रहे हैं , बकौल प्रधानमंत्री उन्हें गालियां दे रहे हैं। आजकल तो वो यूपी की सड़कों पर भ्रमण कर रहे हैं। संयोग देखिये कि पेपर लीक का तूफ़ान तब उठा जब वो बिहार से यूपी में घुसे और वाराणसी पहुंचे। बैठे बिठाये एक मुद्दा मिल गया और राहुल बाबा मोदी के साथ योगी को भी लपेटे में लेने लगे। हालाँकि उनके भाषणों में योगी जी का ज़िक्र कम ही रहता है क्योंकि उनका लेवल मोदी जी वाला है, कांग्रेसी तो यही समझते हैं ये अलग बात है भाजपाई उन्हें आज भी पप्पू ही बुलाते हैं. एक संयोग और भी हुआ, वो ये कि नाराज़ अखिलेश भी मान गए , कांग्रेस और सपा में गठबंधन का एलान भी हो गया, सीटों का बटवारा भी. अखिलेश भी पेपर लीक में राहुल के साथ सुर में सुर मिलाने आगरा पहुँच गए, हालंकि वो पहले से ही योगी जी को टारगेट करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। उनके सम्बोधनों में बाबा जी का ज़िक्र ज़रूर रहता है और 46 में 56 का ज़िक्र भी.

योगी जी के लिए अब डबल परेशानी आ गयी. राजनीतिक घटनाक्रम थोड़ा बदलने लगा. शायद ऊपर से आर्डर आया होगा जो अचानक पेपर लीक को राष्ट्रीय पाप घोषित करना पड़ा. पेपर लीक वालों को घर का न घाट का रहने की चेतावनी देनी पड़ी। अचानक बाबा का बुलडोज़र हरकत करने लगा, कहने लगा आदेश दीजिये मेरे आका, काफी दिन से पड़े पड़े और खड़े खड़े जंग लग रही है. वैसे चुनाव भी बड़ी खराब चीज़ है विशेषकर सत्ताधारियों के लिए, बहुत कुछ ऐसा करने पर मजबूर कर देता है जो करने का मन नहीं होता। मन मारके करना पड़ता है. चुनाव के समय वोटर भगवान् होता है , माना कि भगवान पार्टी और सत्ता पर कृपालु है,उसकी दया बनी हुई है लेकिन रिस्क लेना ठीक नहीं, युवाओं को नाराज़ करना ठीक नहीं। बड़े टेढ़ी कौम होती है युवा, ठान ले तो किसी की भी कुर्सी घसीट सकती है फिर वो चाहे फेविकोल से मज़बूती के साथ जुडी हुई ही क्यों न हो.

पेपर लीक की बात को हवा में उड़ाने वाले योगी जी के मंत्री और संत्री अचानक मुख्यमंत्री जी का बदला हुआ रूप देखकर खमोश हो गए, चुप्पी साध ली. करें भी तो क्या करें, मुखिया ने उसे राष्ट्रीय पाप जो घोषित कर दिया है. अब पापियों की खैर नहीं। एक एक को ढूंढकर निकाला जायेगा और कद और काठी देखकर कार्रवाई की जाएगी। यहाँ कद और काठी का मतलब लम्बाई चौड़ाई से नहीं है, रुतबे और पहुँच से है. जैसा जिसका रुतबा और पहुँच होगी वैसी ही उसपर कार्रवाई होगी। अब ये तो मानी हुई बात है कि भर्ती परीक्षा का पेपर कोई चलता फिरता बंदा तो लीक कर नहीं सकता, इसके लिए रुतबा और पहुँच चाहिए होती है. मामला हज़ारों नौकरियों का है, नौकरी है तो पैसा है, पैसा है तो भ्रष्टाचार है और भ्रष्टाचार से योगी जी का दूर दूर तक नाता नहीं है। पेपर लीक जैसा भ्रष्टाचार तो पाप की श्रेणी में ही आता है और फिर अब तो ये राष्ट्रीय पाप घोषित हो गया है, आधिकारिक और औपचारिक रूप से, तो बुलडोज़र तो बनता ही है।

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