Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने के लिए निर्देशों की मांग करने वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इन्कार कर दिया है। Supreme Court पीठ ने कहा कि भले याचिका संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर की गई है। लेकिन इसका लक्ष्य संबंधित मामले में याचिकाकर्ता के लिए जमानत सुरक्षित करना प्रतीत होता है।
अदालत ने प्रकरण पर विचार करने से इन्कार कर दिया
Supreme Court सीजेआई ने कहा कि इस पर हम विचार नहीं कर सकते। याचिकाकर्ता कानून के तहत दूसरे अन्य प्राधिकरण से संपर्क कर सकता है। याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी स्वेच्छा से खरीदी गई थी। इस प्रकार ऐसे लेनदेन के लिए भारतीय दंड संहिता के तहत कोई अपराध नहीं हो सकता। हालांकि, अदालत ने इस प्रकरण पर विचार करने से ही इन्कार कर दिया।
याचिकाकर्ता को निचली अदालतों में जाने की सलाह
सुप्रीम कोर्ट पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता किसी अन्य निचली अदालत पर जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट को इस पर ध्यान क्यों देना चाहिए? याचिकाकर्ता मनु प्रशांत विग वर्तमान में 2020 में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा के दर्ज एक मामले में न्यायिक हिरासत में है।
मनु प्रशांत विग ब्लू फॉक्स मोशन पिक्चर लि. के निदेशकों में से एक हैं। मनु प्रशांत विग पर लोगों को उच्च रिटर्न वाली योजना में पैसा निवेश करने के लिए प्रेरित करने का आरोप है। इसके बाद 133 निवेशकों ने ईओडब्ल्यू को शिकायत दी थी कि उनके साथ धोखाधड़ी की गई है और उनका पैसा वापस नहीं किया गया।