depo 25 bonus 25 to 5x Daftar SBOBET

Great Depression: दुनिया में ‘महामंदी’ की आहट, USA- चीन के आंकड़े दे रहे हैं गवाही!

इंटरनेशनलGreat Depression: दुनिया में ‘महामंदी’ की आहट, USA- चीन के आंकड़े...

Date:

Great Depression: दुनिया में महामंदी की आहट सुनाई देनी लगी है। अमेरिका और चीन के आर्थिक आंकड़े इसकी गवाही दे रहे है।
साल 2023 में किसी तरह से दुनिया की इकोनॉमी की नैया पार हो जाए, तो अगले साल ‘महामंदी’ आने के आसार नजर आ रहे हैं। विश्व में हर जगह अमेरिका, यूरोप और एशिया में सभी जगह हालात समान हैं। मौजूदा समय में दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं नरमी के दौर में हैं।

कच्चे तेल की कीमतों में तेजी जारी

महंगाई को कंट्रोल करने के सभी कदम विफल हो रहे हैं। कच्चे तेल की कीमतों में तेजी जारी है। खाद्य वस्तुएं के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। जो आम आदमी पहुंच से दूर हो रहे हैं। हाल में भारत के पड़ोसी मुल्क श्रीलंका और पाकिस्तान के हालात बदतर हैं। जो किसी से छिपे नहीं है। ऐसे में संभावना है कि अगले साल दुनिया की सभी अर्थव्यव्यवस्थाओं में भारी नरमी देखने को मिलेगी। जो ‘महामंदी’ की तरफ जा रही है।

अमेरिका फेडरल रिजर्व से लेकर ब्रिटेन के बैंक ऑफ इंग्लैंड तक और भारत में भारतीय रिजर्व बैंक ने महंगाई कंट्रोल करने के लिए बीते साल लगातार ब्याज दरों को बढ़ाया है। इससे आंकड़ों में महंगाई नरम होती दिखी है। लेकिन जमीनी हकीकत पर बहुत अधिक फर्क नहीं पड़ा है। उल्टा इससे बाजार में पूंजी की लागत लगातार बढ़ रही है। पश्चिमी देशों में महंगाई अपने चरम पर है और हालात में सुधार नहीं है। वहीं भारत में स्थिति थोड़ी बेहतर है।

फेडरल रिजर्व, बैंक ऑफ इंग्लैंड ने ब्याज दरों में कमी नहीं की

इस बीच फेडरल रिजर्व, बैंक ऑफ इंग्लैंड ने ब्याज दरों में कमी तो नहीं की, लेकिन आगे इन्हें बढ़ाने की संभावना बरकरार रखी है। जबकि बैंक ऑफ जापान ने ब्याज दरों को बढ़ाए जाने की अटकलों को कम किया है। जापान केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था को मजबूती के लिए बेहद आसान और प्रोत्साहन वाले कदम उठाने पर काम करना जारी रखेगा। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट ग्लोबल इकोनॉमी के लेटेस्ट ट्रेंडस को दिखा रही है। जो world economy में अगले साल भारी नरमी के संकेतों पर ध्यान खींच रही है।

अर्थव्यवस्थाओं में नरमी, अमेरिका बैंकों ने ब्याजदर ना बढ़ाने का फैसला किया

फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने हाल में कहा कि केंद्रीय बैंक ब्याज दरों को नहीं बढ़ाएगा। बैंक के अधिकारियों ने साफ किया कि देश में लोन यानी पूंजी की लागत लंबे समय तक ऊंची बनी रहेगी। ऐसे में कंपनियां स्टाफ में कटौती और लागत को घटाने के विकल्पों पर विचार कर सकती हैं। अमेरिका के होटल बिजनेस से हालात साफ हो रहे हैं। जिसमें कोविड में कम स्टाफ के साथ काम करने की कला सीख चुके लास वेगास के होटल अब 3 साल बाद कम लोगों को नौकरी पर रख रहे हैं।

यूरोप ने रोकी ब्याज दरें बढ़ाना

ब्रिटेन के बैंक ऑफ इंग्लैंड ने ब्याज दरें बढ़ाने के काम को रोक दिया है। बीते 3 दशक के दौरान ब्रिटेन ने हाल में सबसे तेजी ब्याज दरें बढ़ाईं है। जिससे कि महंगाई को कंट्रोल किया जा सके। लेकिन इससे अर्थव्यवस्था में मंदी के संकेत दिख रहे हैं। आखिर में अब ब्याज दरें नहीं बढ़ाने का फैसला लिया है। ब्रिटेन के रीयल एस्टेट मार्केट में नरमी है। इसकी बड़ी वजह रेंटल कॉस्ट का बीते एक दशक में सबसे अधिक बढ़ना है।

कोविड के बाद चीन की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल

कोविड के बाद चीन की अर्थव्यवस्था कमजोर हो रही है।चीन में अर्थव्यवस्था सुधार के संकेत नहीं हैं। 2023 में जहां चीन की इकोनॉमिक ग्रोथ 5.1 प्रतिशत तक रहने का अनुमान है। वहीं अगले साल घटकर 4.6 प्रतिशत पर आने की संभावना है। इसका असर पूरी विश्व की अर्थव्यवस्था पर दिखेगा। इस साल वर्ल्ड इकोनॉमी की ग्रोथ रेट 3 प्रतिशत के आसपास रहने की संभावना है जो कि अगले साल 2024 में नरम पड़कर 2.7 प्रतिशत रह जाएगी।

बाकी दुनिया के देशों का हाल भी खराब

फेडरल रिजर्व और बैंक ऑफ इंग्लैंड की तरह स्विट्जरलैंड के स्विस नेशनल बैंक ने ब्याज दरों को बढ़ाने से दूरी बनाई है। कोशिश है कि महंगाई पर लगाम लगाई जाए। लेकिन ये बाजार में पूंजी की लागत बढ़ा रहा है। इसी तरह तुर्किए, स्वीडन और नॉर्वे ने ब्याज दरों को बढ़ाया। जबकि दक्षिण अफ्रीका, हांगकांग, ताईवान, फिलीपीन्स, मिस्र, डोनेशिया और भारत में ब्याज दरें स्थिर हैं।

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related