संघ प्रमुख मोहन भागवत का पंडितों और जाति-संप्रदाय को लेकर दिए बयान पर ब्राह्मण समुदाय, हिन्दू सगठनों के बाद अब संतों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं. शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने छत्तीसगढ़ के रायपुर में कहा कि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने किस आधार पर यह बयान दिया क्योंकि गीता में खुद भगवान कृष्ण ने इसका जिक्र किया है कि वर्ण उन्होंने बनाए हैं.
महंत राजू दास ने की निंदा
वहीँ अयोध्या के महंत राजू दास ने भागवत के विचारों से असहमति जताते हुए उसकी घोर निंदा की है. उन्होंने कहा कि भागवत का यह बयान समाज को बांटने की एक साजिश है. बता दें कि आरएसएस प्रमुख ने मुंबई में एक कार्यक्रम में कहा था जातियां भगवान ने नहीं पंडितों ने बनाई हैं. उनके इस बयान पर पूरे देश में हंगामा मच गया. हिन्दू महासभा जैसे संगठनों ने भागवत के बयान की ज़बरदस्त निंदा की. देश में बयान पर तीखी प्रतिक्रिया के बाद आरएसएस की तरफ से सफाई पेश की गयी कि संघ प्रमुख के बयान में पंडितों का मतलब ज्ञानी लोगों से था न कि ब्राह्मण समाज से.
स्वामी प्रसाद मौर्य ने किया था स्वागत
मोहन भागवत के पंडितों वाले बयान का स्वामी प्रसाद मौर्या ने स्वागत करते हुए कहा कि संघ प्रमुख ने पाखंडियों की कलई खोल कर रख दी. मौर्य ने अपने बयान में कहा कि लेकिन सिर्फ बयानबाज़ी से काम नहीं चलने वाला, मोहन भागवत ने अगर मन से यह बात कही है तो फिर केंद्र से अनुरोध करे कि वो रामचरित मानस उन अंशों को निकाले जिनमें दलितों और महिलाओं के बारे अपमानजनक बातें कही गयी हैं. सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने भी सोमवार को जाति-वर्ण को लेकर वस्तुस्थिति को स्पष्ट करने की बात कही थी? अखिलेश ने एक अखबार की कटिंग साझा करते हुए ट्वीट किया था जिसमें लिखा था कि भगवान के सामने तो स्पष्ट कर रहे हैं, लेकिन इसमें ये भी स्पष्ट कर दिया जाए कि जाति-वर्ण को लेकर क्या वस्तुस्थिति है.