Punjab and Haryana High Court: हरियाणा में प्राइवेट सेक्टर में 75 प्रतिशत हरियाणा वासियों को नौकरी वाले कानून को पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। कानून को लेकर हाईकोर्ट ने पहले भी मार्च 2022 में फैसला सुरक्षित रखा था। तब हाईकोर्ट ने इस कानून के पक्ष और विरोध की दलीलें सुनी थी, जिसके बाद अप्रैल 2023 में इसकी फिर सुनवाई शुरू की गई थी।
हरियाणा सरकार के इस कानून को लेकर उद्योग मालिकों ने सवाल उठाए
हरियाणा राज्य में निजी क्षेत्र में राज्य के लोगों को 75 प्रतिशत आरक्षण के कानून को आज पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। हरियाणा सरकार के इस कानून को लेकर उद्योग मालिकों ने सवाल उठाए थे। जिसके बाद हाईकोर्ट में जस्टिस जीएस संधावालिया और जस्टिस हरप्रीत कौर जीवन ने मामले को खारिज कर दिया। मामले की सुनवाई एक महीने पहले पूरी हो गई थी। हाईकोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। आज शुक्रवार 17 नवंबर को हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया। इस कानून को लेकर हाईकोर्ट ने इससे पहले मार्च 2022 में फैसला सुरक्षित रखा था। तब हाईकोर्ट ने इस कानून के पक्ष और विरोध की सभी दलीलें सुनी थी। जिसके बाद अप्रैल 2023 में इसकी फिर सुनवाई शुरू हुई थी।
मार्च 2021 में राज्यपाल ने इस बिल पर साइन किए
हरियाणा सरकार ने स्टेट एंप्लॉयमेंट ऑफ लोकल कैंडिडेट एक्ट 2020 बनाया था। हरियाणा सरकार ने नवंबर 2020 में विधानसभा में इस बिल को पारित किया था। मार्च 2021 में राज्यपाल ने इस बिल पर साइन किए थे। हरियाणा विधानसभा में पास किए गए इस बिल में तय किया गया था कि निजी कंपनियों, सोसाइटी, ट्रस्ट, साझेदारी फर्म सहित ऐसे तमाम प्राइवेट संस्थानों में हरियाणा के युवाओं को नौकरी में 75 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा।
हरियाणा सरकार ने अपने इस एक्ट में यह भी तय किया था कि यह आरक्षण उन्हीं निजी संस्थानों पर लागू होगा, जहां 10 या उससे अधिक लोग नौकरी कर रहे हों। इसी के साथ काम कर रहे कर्मचारियों का वेतन 30 हजार प्रतिमाह से कम हो। इस बारे में 6 नवंबर, 2021 को श्रम विभाग ने नोटिफिकेशन जारी किया था कि हरियाणा में नई-पुरानी फैक्ट्रियों, संस्थानों वगैरह में हरियाणा के मूल निवासियों को 75 प्रतिशत नौकरियां देनी होंगी।
फरवरी 2022 में हाईकोर्ट ने लगाई थी रोक
इस मामले में फरीदाबाद और गुरुग्राम के औद्योगिक संगठनों ने हाईकोर्ट में हरियाणा सरकार के इस कानून पर रोक लगाने की मांग की थी। हरियाणा सरकार के इस कानून के खिलाफ औद्योगिक संगठनों की अपील के बाद हाईकोर्ट ने फरवरी 2022 में इस पर रोक लगा दी थी। हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए 4 हफ्ते में इस पर फैसला लेने को कहा था।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि जब तक हरियाणा के इस कानून की संवैधानिक वैधता को लेकर हाईकोर्ट का फैसला नहीं आता, तब तक इसका पालन न करने के मामले में सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर सकती। इस मसले को आज पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है।