गुजरात के मोरबी जिले में माच्छू नदी पर बने केबल ब्रिज के टूटने और 135 लोगों के मरने जिसमें 47 बच्चे भी शामिल थे की घटना से रूह काँप जाती है. उस घटना के बारे में सोचकर भी कंपकपी दौड़ जाती है, जो लोग ब्रिज पर मौजूद था और मौत के मुंह से बचे उनकी बातें ऐसा डरावना मंज़र पेश करती हैं कि दिमाग़ में सैकड़ों सवाल उठने लगते हैं. सवाल लापरवाही के, सवाल पैसे कमाने के लालच के, सवाल ऐसे मौकों पर राजनीति करने के. अब इस मामले में ओरेवा कंपनी के मैनेजर समेत 9 लोगों को विभिन्न धाराओं के तहत गिरफ्तार कर लिया है. ओरेवा कंपनी के पास ही इस ब्रिज की मरम्मत का काम था.
बता दें कि अंग्रेज़ों के ज़माने के इस हैंगिंग पुल को 7 महीने पहले मरम्मत के लिए बंद कर दिया गया था और इसे 26 अक्टूबर को गुजराती नव वर्ष के मौके पर आम लोगों के लिए फिर से खोला गया था.लेकिन कहा जा रहा है कि यह सब जल्दबाज़ी और पैसे कमाने के लालच में किया गया. इस हैंगिंग ब्रिज को फिटनेस सर्टिफिकेट मिले बैगैर इसे जनता के लिए खोल दिया गया और न सिर्फ खोला गया बल्कि सैकड़ों लोगों को एकसाथ जाने भी दिया गया.
अब इस मामले में बलि का बकरा तलाशा जा रहा है. राजनीती भी शुरू हो गयी है. सत्ताधारी भाजपा जहाँ इसपर राजनीति न करने की बात कर रही है वहीँ विपक्षी पार्टियां भाजपा सरकार पर लगातार घेर रही हैं. सबसे बड़ा सवाल यही उठाया जा रहा है कि जब ब्रिज इतना बोझ उठाने के लायक नहीं था तो उसपर इतनी भारी संख्या में लोगों को कैसे जाने दिया गया. सोशल मीडिया पर यह भी कहा जा रहा है कि पुल को हिलाया जा रहा था, अगर ऐसा है तो यह बहुत बड़ी साज़िश भी हो सकती है, हालाँकि जांच के लिए SIT का गठन हो चूका है. अभी तो मोरबी में कोहराम मचा हुआ है. शमशान घाटों में शवों की कतारें लगी हुई हैं. लाशें जलाने की जगह नहीं हैं.