Gyanvapi Case: वाराणसी के ज्ञानवापी मासले में वादी राखी सिंह ने राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु मांगी है। वादी राखी सिंह ने राष्ट्रपति को इस मामले में पत्र लिखा है। राखी सिंह के इच्छा मृत्यु की मांग से हिंदू संगठनों में चर्चाओं का बाजार काफी गर्म है। इससे पहले राखी सिंह के वकील शिवम् गौड़ का ज्ञानवापी मामलों के मुकदमों से हटना। इसके बाद जितेंद्र सिंह का मुकदमों को हटाना फिर राखी सिंह का इच्छा मृत्यु मांगना ज्ञानवापी मामले में मुकदमें में हिंदू पक्ष के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
श्रृंगार गौरी मामले की मुख्य पैरोकार और विश्व वैदिक सनातन संघ संस्थापक जितेंद्र सिंह बिसेन की भतीजी राखी सिंह ने एक चिट्ठी राष्ट्रपति को लिखकर हड़कंप मचा दिया। उन्होंने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिख खुद के लिए इच्छा मृत्यु मांगी है। इसकी वजह उन्होंने ज्ञानवापी मामले की वादी महिला पैरोकार और कुछ वकीलों द्वारा प्रताड़ना की बात कही है। राखी सिंह ने अपने पत्र में 9 जून तक का समय दिया है। उन्होंने लिखा है कि अगर 9 जून तक जवाब नहीं आया तो वो अगला कदम स्वयं ही उठाएंगी।
मुझे इच्छा मृत्यु चाहिए
श्रृंगार गौरी मामले की मुख्य पैरोकार राखी सिंह का एक पत्र वायरल हुआ है। इसमें उन्होंने लिखा कि मुझे और मेरे परिवार को बदनाम करने की साजिश की जा रही है। इसमें शासन व प्रशासन के लोग शामिल हैं। मेरे और मेरे परिवार पर झूठा प्रचार किया जा रहा है कि मैं, मुकदमा वापस ले रही हूं। इससे हम मानसिक दबाव में हैं। अब बर्दाश्त नहीं होता है। इसीलिए मैने राष्ट्रपति से स्वयं के लिए इच्छा मृत्यु की मांग की है।
वादी महिलाओं पर आरोप
राखी सिंह ने इस मुकदमें में अन्य चार महिलाओं पर आरोप लगाया है। जिसमें उन्होंने कहा कि चारों महिलाएं उन्हें प्रताड़ित कर रहीं हैं। इसी के साथ उनके अधिवक्ता प्रताड़ना कर रहे हैं। राखी ने इस मामले में राष्ट्रपति से 9 जून तक जवाब देने को कहा है। 9 जून की सुबह यदि जवाब नहीं आया तो अगला कदम वह खुद ही उठाएंगी।
मुकदमों को क्लब करना एक कारण
उन्होंने कहा कि हिन्दू समाज़ मे उनको और परिवार को गद्दार घोषित करने की कोशिश हो रही है। हमने ये सब बर्दाश्त किया है। यह सोच कर कुछ लोग क्रेडिट लेने व धन बटोरने को ये सब कर रहे हैं। इससे उन पर कोई फर्क नही पड़ता। क्रेडिट कोई भी ले लेकिन उसका उद्देश्य ज्ञानवापी बचना हिन्दू पक्ष को मिलना चाहिए। लेकिन अब सहन की सीमा खत्म हो गई जब चार महिलाओं के माध्यम से ज्ञानवापी परिसर से संबंधित मुख्य मुकदमा व अन्य मुकदमें को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया। जिसके कारण ज्ञानवापी परिसर हिन्दुओं को प्राप्त हो सकता था। किंतु अब वह मुसलमानों के पक्ष में चली जाएगी।