सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाह का विरोध करने पर मुसलिम समुदाय के सबसे बड़े संगठन आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड ने केंद्र सरकार के विरोध का समर्थन करते हुए कहा है कि इस मामले में वो सरकार के साथ और ज़रुरत पड़ने पर वो पक्षकार भी बनने को तैयार है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता और समलैंगिक विवाह को मान्यता दी है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का केंद्र सरकार ने विरोध करते हुए शीर्ष अदालत में अपनी बात रखी. अदालत इस मामले पर अब सुनवाई करेगी।
धार्मिक परंपराओं और नैतिक मूल्यों से बंधे हैं भारत के लोग
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने एकबयान में कहा कि भारत जैसे देश में, जहां लोग हमेशा धार्मिक परंपराओं और नैतिक मूल्यों से बंधे रहे हैं, और विशेष रूप से जो बातें धर्मों के बीच साझा है, हमेशा उनके महत्व को समझा गया है. मौलाना रहमानी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाह को लेकर जो याचिका दायर की गयी है, उसके मुताबिक याचिकाकर्ता चाहता है कि कानून ऐसी शादी को मान्यता दे.
किसी भी धर्म को यह स्वीकार्य नहीं
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव के मुताबिक यह मांग किसी भी धर्म को स्वीकार्य नहीं है. और कोई भी सभ्य समाज इसे स्वीकार नहीं कर सकता, यह ख़ुशी की बात है कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका का विरोध किया है। बोर्ड के महासचिव ने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सरकार के इस विचार का समर्थन करता है, साथ ही सरकार से समलैंगिकता को अपराध के दायरे में रखने की भी मांग करता है. मौलाना रहमानी ने कहा बोर्ड को आवश्यकता महसूस हुई तो वह भी पक्षकार बनने का प्रयास करेगा. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का इस मामले में केंद्र के साथ खड़ा होना मोदी सरकार के लिए बड़ी बात है.