Lok Sabha elections 2024: प्रियंका गांधी और बसपा प्रमुख मायावती के बीच मुलाकात हुई है। दोनों नेताओं के बीच मुलाकात के बाद माना जा रहा है कि बसपा जल्द ही इंडिया गठबंधन में शामिल होगी। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 से पहले कांग्रेस और बसपा के शीर्ष नेतृत्व के बीच बातचीत शुरू हुई थी। उसके बाद से बातचीत मुकाम तक नहीं पहुंच सकी थी। लेकिन दोनों के बीच संवाद बना रहा है।
विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में बसपा को लाने के अंदरखाने प्रयास हो रहे हैं। सब कुछ ठीक रहा तो पांच राज्यों के चुनाव के बाद इसकी आधिकारिक घोषणा होनी तय है। इसमें कांग्रेस सूत्रधार की भूमिका में हैं। कवायद के तहत दोनों ओर के प्रथम परिवारों के बीच बार बातचीत हो चुकी है।
एक पूर्व सांसद की इसमें अहम भूमिका
लोकसभा चुनाव 2024 जीतने के लिए इंडिया गठबंधन कसर नहीं छोड़ना चाहता। बसपा को साथ लाने की कोशिशें उसकी ऐसे ही रणनीति का हिस्सा है। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 से पहले कांग्रेस और बसपा के शीर्ष नेतृत्व के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू है। सूत्रों के मुताबिक पिछले महीने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी और बसपा सुप्रीमो मायावती के बीच मुलाकात हो चुकी है। बसपा की तरफ से अब नेतृत्व के पारिवारिक हो चुके एक पूर्व सांसद की इसमें अहम भूमिका है।
ऐन वक्त पर घोषणा रणनीति
यूपी विधानसभा चुनाव से पहले बसपा-कांग्रेस की गठबंधन की खिचड़ी पकने के बावजूद बीच में विघ्न आ गए थे। उसके बाद तय हुआ था कि विधानसभा की 125 सीटों पर कांग्रेस और शेष 278 सीटों पर बसपा लड़ेगी। खबर लीक हुई और फिर सत्ता पक्ष की ओर से परिस्थितियां बनाई गई कि दोनों को अपने कदम पीछे खींचने पड़े। चुनाव के बाद राहुल गांधी ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि हम बसपा को आगे रखकर यूपी में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार थे। इस बार लोकसभा चुनाव 2024 के ठीक पहले आधिकारिक रूप से घोषणा करने की रणनीति है।
बसपा के साथ गठबंधन में रुचि ले रही कांग्रेस
इस सारी कवायद में एक पहलू यह है कि क्या इंडिया में बसपा के आने से सपा पहले जैसी दिखेगी। कांग्रेस नेतृत्व, यूपी में बसपा को साथ लाने में अधिक रुचि ले रहा है। इसकी वजह साफ है कि बसपा के पास अपना ठोस 10-12 प्रतिशत वोट बैंक है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय का बागेश्वर (उत्तराखंड) विधानसभा सीट को लेकर सपा के खिलाफ दिया बयान इसी कवायद से जोड़कर माना जा रहा है। बताया जाता है कि अजय राय ने यह बयान हाईकमान से इशारा मिलने के बाद दिया।
2017 के विधानसभा चुनाव में सपा के साथ कांग्रेस का अनुभव अच्छा नहीं रहा
संभावना है कि जैसे-जैसे बसपा के साथ बात बढ़ती जाएगी, वैसे-वैसे इस तरह के बयान आ सकते हैं। गांधी परिवार के नजदीकी नेता के अनुसार वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा के साथ कांग्रेस का अनुभव अच्छा नहीं रहा है। उस चुनाव में कांग्रेस को अधिक सीटें देने की बात सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव कहते रहे। लेकिन 145 सीट देने के वादे के बावजूद कांग्रेस को 105 सीट दी गईं थी। उसमें से अनुराग भदौरिया जैसे 10 प्रत्याशी सपा ने अपने लड़ाए। इस तरह से देखा जाए तो कांग्रेस के हिस्से में मात्र 95 सीटें आई थीं। कांग्रेस अब सपा के साथ जाकर पुरानी वाली गलती नहीं दोहराना चाहती है।