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Atiq Ahmad hatyakand Update: अतीक अशरफ की हत्या का जवाबदेह कौन!

उत्तर प्रदेशAtiq Ahmad hatyakand Update: अतीक अशरफ की हत्या का जवाबदेह कौन!

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प्रयागराज। अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पुलिस अभिरक्षा में हत्या कर दी जाती है। पुलिस मौके से तीन आरोपियों को गिरफ्तार करती है। यूपी की एनकाउंटर स्पेशलिस्ट पुलिस जो अपराधियों के हाथ में जंग लगा तमंचा देखते ही गोली मार देती है। वह पूरे घटनाक्रम के दौरान मौन रही। किसी पुलिसकर्मी ने अतीक और अशरफ के हत्यारोपियों पर गोली चलाना तो दूर एक थप्पड़ तक नहीं मारा। ये वहीं यूपी पुलिस है जो प्रदर्शकारियों पर लाठी चलाने में माहिर है और इनका निशाना इतना सटीक कि मुठभेड़ के दौरान गोली पैर पर या सीने पर लगती है।

हत्यारे पुलिस गाड़ी में आए!

बताया जाता है कि अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ के हत्यारोपी पुलिस गाड़ी में आए थे। तीनों ही मीडिया की माइक आईडी लेकर पुलिस गाड़ी में बैठे थे। प्रयागराज मेडिकल कालेज में तीनों पुलिस गाड़ी से उतरे और आराम से अपने खतरनाक मंसूबों को अंजाम दिया। मजे की बात जिस पुलिस गाड़ी से तीनों हत्यारोपी पहले उतरे उसी पुलिस गाड़ी से तीनों को गिरफ्तार कर ले जाया गया।

शूटरों को स्वचालित विदेशी हथियार कहां से मिले

दूसरा सबसे बड़ा सवाल है कि तीनों शूटरों को विदेशी हथियार कहां से मिली। तीनों शूटरों के पा स्वचालित विदेशी पिस्टल थीं। ऐसा नहीं है कि तीनों ने पहली बार ये पिस्टल चलाई हो। जिस तरह से अतीक अहमद के सिर में गोली मारी गई और उसके बाद 18 सेंकेड 20 राउंड गोली चलाई, इससे यह पता चलता है कि इन शूटरों ने हथियार चलाने की ट्रेनिंग पहले से ली हुई थी। ये इतने अत्याधुनिक हथियार चलाने में पूरी तरह से माहिर थे।

सोशल मीडिया में जो वीडियो वायरल हो रहे हैं उनमें तीनों शूटर जिस तरह से गोली चला रहे हैं। उससे ना तो उनके हाथ कांप रहे हैं और ना उनमें जरा भी भय दिख रहा है। इसका मतलब साफ है। ये कोई पहली बार ऐसे हथियार से गोली नहीं चला रहे हैं। पहले भी वारदातों को अंजाम दे चुके हैं या फिर अतीक अहमद पर गोलियां बरसाने के लिए ट्रेनिंग दी गई।

शूटरों के परिजनों के बयान विरोधाभासी

अतीक हत्याकांड में पकड़े गए तीनों शूटरों के परिजनों के बयानो में विरोधाभास है। परिजनों के बयानों में एकमत नहीं है। बांदा निवासी शूटर लवलेश जिसने अतीक के सिर में गोली मारी। उसके बारे में बताया जाता है कि वह एक मामले में पहले भी जेल जा चुका है। इसके अलावा उसको नशेड़ी किस्म का भी बताया जा रहा है।

रिमांड से पहले लिख दी हत्याकांड की पटकथा

प्रयागराज में बसपा विधायक राजू पाल की दिनदहाड़े हत्या और राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल की हत्या के बाद सुर्खियों में आया माफिया अतीक अंसारी ने खुद भी जेल में कहा था कि इस बाद टाइमिंग गलत हो गई। शायद अतीक अहमद को भी उमेश पाल की हत्या के बाद इस बात का अहसास हो गया था कि उसने गलत कदम उठा लिया। इसीलिए अतीक ने अपनी हत्या और सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को यूपी सरकार और और हाईकोर्ट के अधीन बताकर मामले से पल्ला झाड लिया था।

ये कैसी यूपी पुलिस

अतीक अहमद हत्याकांड के बाद से सबसे बड़ा सवाल यूपी पुलिस पर उठ रहा है। अतीक अहमद हत्याकांड से 36 घंटे पहले यही यूपी पुलिस अतीक के बेटे असद और एक अन्य को मुठभेड़ में मार गिराती है। वहीं दूसरी ओर पुलिस अभिरक्षा में मृतक असद के पिता अतीक और उसके चाचा अशरफ की हत्या कर दी जाती है और पुलिस गोलियां चलती देखती है।

एक और सबसे बड़ा मानवीय सवाल यह भी है कि जिस समय अतीक और अशरफ को गोलियां मारी गई। उसके बाद दोनों भाई मेडिकल के सामने ही काफी देर तक पड़े तड़पते रहे। लेकिन किसी ने उनको मेडिकल में भर्ती करवाने की जहमत नहीं उठाई। अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पुलिस सुरक्षा में हुई हत्या यूपी पुलिस ही नहीं, यूपी सरकार, और न्याय प्रणाली पर भी बड़ा प्रश्नचिंन्ह है।

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