नई दिल्ली। बहुचर्चित नाभा जेल ब्रेक मामले में पटियाला अदालत ने गुरुवार को 22 दोषियों को दस-दस साल की कैद की सजा सुनाई। इनमें नौ खतरनाक गैंगस्टर और दो जेल मुलाजिम शामिल हैं।
बरी किए प्रमुख आरोपियों में मोहम्मद असीम, नरेश नारंग, तेजिंदर शर्मा, जतिंदर सिंह उर्फ टोनी, वरिंदर सिंह उर्फ रिकी सहोता व रणजीत सिंह शामिल हैं। इन सभी पर जेल ब्रेक कांड की साजिश रचने, जेल तोड़ने वाले अपराधियों को हथियार मुहैया कराने, इनकी पैसों से मदद करने व बाद पनाह देने के आरोप लगे थे। लेकिन सबूतों के अभाव में कोर्ट ने सभी को बरी कर दिया।
जेल कर्मचारियों पर भी लगे थे भ्रष्टाचार के आरोप
जानकारी के मुताबिक जेल कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। लेकिन अदालत में यह साबित नहीं हो सके और इन दोनों जेल कर्मचारियों को कोर्ट ने केवल ड्यूटी में लापरवाही बरतने का ही दोषी पाया है। वहीं मनजिंदर सिंह, अमन कुमार, सुनील कालड़ा व किरण पाल सिंह पर आरोपियों को आश्रय देने के दोष साबित हुए हैं। बाकी पर हत्या की कोशिश, सरकारी ड्यूटी में बाधा डालने, डकैती करने की धाराओं के तहत दोष साबित हुए हैं।
यह था घटनाक्रम
27 नवंबर 2016 को नाभा की हाई सिक्योरिटी जेल पर पुलिस की वर्दियों में गाडिय़ों में सवार होकर आए अपराधियों ने फायरिंग करते हुए हमला बोला और जेल से खालिस्तान लिब्रेशन फोर्स के प्रमुख आतंकी हरमिंदर सिंह मिंटू व आतंकी कश्मीर सिंह समेत चार खूंखार गैंगस्टरों को भगा कर ले गए थे।
बाद में गिरफ्तार किए आतंकी मिंटू की अप्रैल 2018 में जेल में दिल का दौरा पडने से मौत हो गई थी।। आतंकी कश्मीर सिंह अभी तक फरार है। विक्की गौंडर जनवरी 2018 में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था और बाकी गुरप्रीत सिंह सेखों, कुलप्रीत सिंह उर्फ नीटा दियोल और अमनदीप सिंह उर्फ धोतियां जेल में हैं।